त्योहारी ऑफर्स और नो-कॉस्ट EMI: फायदे या जाल?

क्यों नो-कॉस्ट EMI बढ़ा सकती है आपका खर्च?

त्योहारी ऑफर्स और नो-कॉस्ट EMI: फायदे या जाल?

त्योहारों में खरीदारी के दौरान नो-कॉस्ट EMI (Equated Monthly Instalments) को समझना ज़रूरी क्यों है ?

 

लोन लेने या किसी प्रोडक्ट को किस्तों में खरीदने के दौरान EMI एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। विशेषकर त्योहारों में, जब कंपनियां ऑफ़र और छूट लेकर आती हैं, तब यह समझना जरूरी हो जाता है कि चुनी गई EMI आपके भविष्य के बजट और वित्तीय स्थिति पर कितना असर डालेगी।

चाहे आप पर्सनल लोन ले रहे हों या फिर इलेक्ट्रॉनिक्स, फर्नीचर या घरेलू उपकरण खरीद रहे हों, EMI की शर्तों को समझना बेहद जरूरी है। आम तौर पर कंपनियां दो तरह की EMI सुविधा देती हैं

रेगुलर EMI, जिसमें ब्याज शामिल होता है।

नो-कॉस्ट EMI, जिसमें ब्याज नहीं लगता, लेकिन असल लागत अन्य तरीकों से एडजस्ट कर दी जाती है।

 

त्योहारी ऑफर्स और सेल में अक्सर नो-कॉस्ट EMI सुनने को मिलता है। आइए जानते हैं इसका असली मतलब क्या है।

नो-कॉस्ट EMI क्या है?

नो-कॉस्ट EMI एक ऐसी सुविधा है, जिसमें किसी वस्तु या सेवा की कीमत को मासिक किश्तों में चुकाया जा सकता है। इसमें ब्याज अलग से नहीं देना पड़ता और उपभोक्ता केवल प्रोडक्ट की तय कीमत ही भरते हैं। यह विकल्प पहली नज़र में काफी फायदेमंद लगता है, लेकिन इसके कुछ छिपे पहलू भी हैं जिन पर ध्यान देना जरूरी है।

छिपे हुए शुल्क

नो-कॉस्ट EMI में भले ही ब्याज न लगे, लेकिन कई बार इसमें प्रोसेसिंग फीस, GST (जो माफ किए गए ब्याज पर लगाया जाता है) या फिर प्रोडक्ट की कीमत को पहले से थोड़ा ज्यादा तय कर देने जैसे खर्च छिपे हो सकते हैं। धीरे-धीरे ये छोटे-छोटे खर्च मिलकर आपकी जेब पर असर डालते हैं।

ज़्यादा खर्च करने का खतरा

नो-कॉस्ट EMI की सुविधा कई बार ग्राहकों को ऐसे उत्पाद लेने के लिए आकर्षित करती है, जिनकी असल में ज़रूरत नहीं होती। कम राशि वाली किश्तें आसान लगने के कारण लोग इसे आसान समझ लेते हैं, लेकिन धीरे-धीरे यही भुगतान उनकी नकदी प्रवाह और बचत पर नकारात्मक असर डालता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, “नो-कॉस्ट EMI दरअसल मुफ्त क्रेडिट नहीं है। कंपनियां अक्सर ब्याज की लागत खुद वहन करती हैं और इसे प्रमोशनल ऑफर के तौर पर दिखाती हैं। कई बार यह सीधे डिस्काउंट देने की बजाय ब्याज-मुक्त EMI प्लान के रूप में सामने आता है।”

नो-कॉस्ट EMI लेने से पहले किन बातों पर ध्यान दें?

बजट का मूल्यांकन करें

EMI चुनने से पहले यह देखें कि आपकी मासिक आय और खर्च के हिसाब से वह किस्त आराम से चुकाई जा सकती है या नहीं।

इंटरेस्ट-फ्री अवधि जानें

अक्सर नो-कॉस्ट EMI सिर्फ एक निश्चित समय तक ही ब्याज-मुक्त रहती है। उस अवधि के बाद आपको ब्याज चुकाना पड़ सकता है। इसलिए इस अवधि की जानकारी पहले से ज़रूर लें।

शर्तें और नियम पढ़ें

हर EMI योजना के साथ कुछ शर्तें जुड़ी होती हैं। उन्हें ध्यान से पढ़ें ताकि आपको असल लागत का अंदाज़ा पहले से हो।

निष्कर्ष

नो-कॉस्ट EMI पूरी तरह से ‘नो-कॉस्ट’ नहीं होती। यह बस लागत को अलग तरीके से पेश करने का तरीका है। इसलिए किसी भी खरीदारी से पहले इसके छिपे शुल्क और शर्तों का बारीकी से आकलन करना ज़रूरी है। समझदारी से EMI का चुनाव करना आपकी वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए अहम है।