विवाह के उपहारों पर टैक्स: नियम, छूट और सावधानियां जो हर जोड़े को जाननी चाहिए

विवाह उपहारों पर टैक्स नियम और छूट: नवविवाहित जोड़ों के लिए जरूरी जानकारी

विवाह के उपहारों पर टैक्स: नियम, छूट और सावधानियां जो हर जोड़े को जाननी चाहिए

विवाह के अवसर पर गिफ्ट पर टैक्स: भारत में नियम और सावधानियां

 

भारत में परिवारों के बीच विवाह के मौके पर गिफ्ट देना एक पुरानी परंपरा है। हालांकि, गिफ्ट मिलने पर टैक्स के नियम भी लागू होते हैं, जिन्हें समझना बेहद जरूरी है। इस लेख में गिफ्ट टैक्स कानून, इसके अपवाद, और विवाह के उपहारों से जुड़े टैक्स नियमों के बारे में विस्तार से बताया गया है।

 

भारत में गिफ्ट टैक्स के सामान्य प्रावधान

 

1998 में गिफ्ट टैक्स अधिनियम समाप्त होने तक, गिफ्ट देने वाले (डोनर) को ₹30,000 से अधिक मूल्य के उपहारों पर टैक्स देना पड़ता था। इसके बाद न तो देने वाला और न लेने वाला किसी टैक्स के दायरे में था। लेकिन, इस व्यवस्था का दुरुपयोग बढ़ा, जिसके कारण सरकार ने नियम बदले और अब ₹50,000 से अधिक मूल्य के उपहार लेने पर प्राप्तकर्ता को टैक्स देना अनिवार्य कर दिया गया है। यह राशि पूरे वित्तीय वर्ष में मिलने वाले उपहारों का कुल योग होता है, न कि किसी एक उपहार का मूल्य।

 

विवाह के उपहारों पर विशिष्ट प्रावधान

विवाह के अवसर पर मिलने वाले गिफ्ट को आम तौर पर टैक्स से मुक्त रखा गया है, लेकिन यह केवल विवाह करने वाले जोड़े के लिए है। यानी, विवाह के उपहार जोड़े को टैक्स मुक्त होते हैं, चाहे वे रिश्तेदारों से ही क्यों न मिले, और उनकी किसी भी सीमा नहीं होती।

लेकिन जो रिश्तेदार या अन्य लोग विवाह में गिफ्ट पाते हैं, उन्हें अपने सालाना कुल उपहार में यह मूल्य जोड़ना होगा और यदि यह ₹50,000 से अधिक हुआ तो वे टैक्स के दायरे में आ सकते हैं।

 

क्लबिंग प्रावधान

यदि कुछ विशिष्ट रिश्तेदार विवाह के उपहार देते हैं, तो क्लबिंग नियम लागू हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, जो दामाद को शादी के बाद उसके ससुराल वालों से गिफ्ट मिलता है, उसका आयकर उस ससुराल वाले के साथ जोड़ा जाएगा।

यह नियम गिफ्ट की प्रकृति बदलने के बाद भी लागू रहता है। जैसे यदि गिफ्ट के रूप में सोने के आभूषण मिले और बाद में उसकी बिक्री से लाभ हुआ, तो उस लाभ को भी डोनर की आय में जोड़ा जाएगा।

 

विवाह के उपहार स्वीकारते समय सावधानियां

जब विवाह के उपहार बहुत मूल्यवान होते हैं, तो उन्हें रिकॉर्ड करना आवश्यक होता है। आपको उपहार देने वालों के नाम और उपहार का विवरण देना पड़ सकता है। यदि यह विवरण सही न दिया जाए, तो आयकर विभाग भारी जुर्माना और 60% से अधिक टैक्स भी लगा सकता है।

इसके अलावा, विवाह समारोह की लागत का ब्यौरा देने को भी कहा जा सकता है, जैसे खर्चों के रसीद, वीडियोज और फोटो, ताकि किसी भी ग़लतफहमी को रोका जा सके।

 

निष्कर्ष

विवाह के मौके पर मिलने वाले गिफ्ट का टैक्स नियम स्पष्ट हैं। जोड़े को मिले उपहार टैक्स मुक्त हैं, लेकिन अन्य पर नियम लागू हो सकते हैं। इसलिए, अपने विवाह के उपहारों का सही रिकॉर्ड रखें और टैक्स नियमों को समझकर ही उपहार स्वीकार करें, ताकि बाद में किसी भी तरह की अनावश्यक परेशानी से बचा जा सके।

यह लेख गिफ्ट टैक्स के नियमों और विवाह में उपहार से जुड़ी टैक्स संबधी जानकारियों को सरल और स्पष्ट तरीके से समझाने का प्रयास है, जिससे हर व्यक्ति आसानी से समझ सके।

क्या विवाह में मिले सभी गिफ्ट्स पर टैक्स देना होता है?
विवाह करने वाले जोड़े को मिले उपहार टैक्स मुक्त होते हैं, चाहे उनकी राशि कितनी भी हो। लेकिन विवाह में मौजूद अन्य लोगों को मिले उपहारों पर ₹50,000 से अधिक मूल्य होने पर टैक्स लागू हो सकता है।
₹50,000 से अधिक के उपहार पर टैक्स कब देना पड़ता है?
यदि वित्तीय वर्ष में किसी व्यक्ति को कुल ₹50,000 से अधिक मूल्य के उपहार मिलते हैं जो वैध विवाह के उपहार नहीं हैं, तो उसे उस पूरे मूल्य पर टैक्स देना होगा।
विवाह के उपहार के लिए कौन-कौन से रिश्तेदार टैक्स मुक्त हैं?
विवाह के उपहार जोड़े को टैक्स मुक्त होते हैं, चाहे वे रिश्तेदार हों या अन्य; लेकिन उनकी सीमा नहीं होती। आमतौर पर नजदीकी रिश्तेदारों से मिलने वाले उपहार भी टैक्स मुक्त होते हैं।
क्लबिंग प्रावधान का मतलब क्या है?
यदि विवाह के उपहार दामाद को उसके ससुराल से मिलते हैं, तो उस उपहार से होने वाली आय उस ससुराल वाले के आय में जोड़ी जा सकती है और उसी के आधार पर टैक्स लग सकता है।
गिफ्ट का रिकॉर्ड रखना क्यों जरूरी है?
उपहारों का सही विवरण और मूल्य रिकॉर्ड रखना आयकर विभाग की जांच से बचाता है। गलत या अधूरा विवरण देने पर भारी जुर्माना और अतिरिक्त टैक्स लग सकता है।
क्या विवाह समारोह पर खर्च भी साबित करना पड़ता है?
हाँ, कभी-कभी आयकर अधिकारी खर्च के रसीद, वीडियो या फोटो मांग सकते हैं ताकि विवाह खर्च और उपहार के बीच स्पष्टता बनी रहे।
क्या गिफ्ट टैक्स अधिनियम अब भी लागू है?
गिफ्ट टैक्स अधिनियम 1998 में समाप्त हो गया था, लेकिन उपहारों से संबंधित आयकर नियम अब भी लागू हैं, विशेष रूप से ₹50,000 से अधिक मूल्य के उपहारों के लिए।
क्या सोने के गिफ्ट पर भी टैक्स लगता
सोने के रूप में मिले विवाह उपहार टैक्स मुक्त होते हैं अगर वे सीधे विवाह जोड़े को मिले हों। लेकिन यदि बाद में इन्हें बेचकर लाभ होता है, तो उस लाभ पर टैक्स लग सकता है और यह डोनर की आय में क्लुप किया जा सकता है।
गिफ्ट पर टैक्स कैसे चुकाना होता है?
लाभार्थी को अपने आयकर विवरण में उपहार का मूल्य घोषित करना होता है और यदि सीमा पार हो जाती है तो टैक्स भुगतान करना होता है।
अगर उपहार के आने वाले साल में मूल्य ₹50,000 से कम रहता है तो क्या टैक्स लगेगा?
नहीं, यदि पूरे वित्तीय वर्ष में आपने ₹50,000 से कम मूल्य के उपहार लिए हैं तो टैक्स नहीं लगेगा।