Yamuna Maiya ki Pukaar : मथुरा और वृंदावन में बाढ़ से हाहाकार

मथुरा और वृंदावन में यमुना मैया के उफान से सड़कों पर जल प्रलय, मंदिर और घाट डूबे, लोग मदद को पुकार रहे, हालात संभालने में प्रशासन को भारी चुनौतियां।

Yamuna Maiya ki Pukaar : मथुरा और वृंदावन में बाढ़ से हाहाकार

उत्तर प्रदेश के मथुरा और वृंदावन में इस समय यमुना नदी का रौद्र रूप देखने को मिल रहा है। चारों ओर पानी ही पानी फैला हुआ है। गली-गली में जल भराव है, मंदिरों के घाट पानी में डूब गए हैं और श्रद्धालुओं का आना-जाना मानो थम गया है। लोग इसे एक तरह से प्रकृति का इशारा मान रहे हैं कि हमें समय रहते चेत जाना चाहिए। जब भी हम कुदरत के साथ खिलवाड़ करते हैं, तो नतीजा इसी तरह देखने को मिलता है।

 

मथुरा में डूबे मंदिर और गलियां

मथुरा की गलियों में इस वक्त नाव चल रही है। सड़कें नदियों जैसी बन चुकी हैं। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के आसपास पानी भर चुका है। लोग अपने घरों की छतों से बर्तन और कपड़े निकालते हुए देखे जा सकते हैं। चारों ओर चीख-पुकार है। बुजुर्गों से लेकर छोटे बच्चों तक सभी इस बाढ़ की मार झेल रहे हैं। कई परिवारों ने अपने घर छोड़कर रिश्तेदारों के यहां शरण ली है। प्रशासन लगातार राहत और बचाव कार्य कर रहा है, लेकिन पानी का दबाव इतना ज्यादा है कि हालात पर काबू पाना आसान नहीं हो पा रहा। लोग अब भगवान से ही दुआ कर रहे हैं कि यमुना मैया का जलस्तर जल्दी कम हो।

 

वृंदावन में भक्त परेशान

वृंदावन, जो हमेशा भक्तिमय माहौल और हरि भजनों से गूंजता रहता है, इस समय वीराने में तब्दील हो गया है। प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के कई रास्तों पर पानी घुस आया है। श्रद्धालु जो दूर-दूर से यहां दर्शन के लिए आते हैं, अब भीगते-कांपते लौट रहे हैं। कई संन्यासी और साधु पानी में फंसे हुए हैं और आश्रय ढूंढ रहे हैं। दुकानों में रखा सामान पानी में बह गया है। यहां तक कि प्रसिद्ध घाट जहां लोग स्नान करते थे, अब पूरी तरह पानी में डूबे पड़े हैं। लोगों का कहना है कि ऐसा नजारा उन्होंने दशकों से नहीं देखा। वृंदावन का हर कोना इस वक्त मदद के इंतजार में है।

 

गांवों में तबाही का मंजर

मथुरा और वृंदावन के आसपास के गांवों की हालत और भी ज्यादा खराब है। कच्चे मकान पानी में बह गए हैं। लोग अपने मवेशियों को बचाने के लिए रात-दिन जूझ रहे हैं। खेत-खलिहान जो हरे-भरे दिखते थे, वो अब तालाब जैसे हो गए हैं। किसानों का कहना है कि उनकी सालभर की मेहनत बर्बाद हो गई। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे, महिलाएं पीने के पानी के लिए दर-दर घूम रही हैं। जिनके घर गिर गए, वे गांव की चौपाल या स्कूल में शरण ले रहे हैं। बाढ़ ने एक तरह से पूरे इलाके की जिंदगी थाम दी है। यह संकट केवल एक-दो दिन का नहीं है, बल्कि लंबे समय तक परेशानी देने वाला साबित हो सकता है।

 

प्रशासन की चुनौतियां और राहत कार्य

प्रशासन की टीम चौक-चौराहों पर नावों के जरिए फंसे हुए लोगों को बाहर निकाल रही है। राहत कैंप बनाए गए हैं जहां लोगों को खाने और पानी का इंतजाम कराया गया है। डॉक्टरों की टीम भी तैनात है ताकि कोई गंभीर बीमारी फैल न सके। बिजली सप्लाई कई इलाकों में पूरी तरह बंद है, जिससे लोग मोबाइल तक चार्ज नहीं कर पा रहे। हालांकि प्रशासन ने हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं और लगातार कोशिश हो रही है कि किसी भी परिवार को भूखा न रहना पड़े। लेकिन समस्या इतनी बड़ी है कि हालात पर तुरंत काबू पाना मुश्किल दिख रहा है। स्थानीय लोग कह रहे हैं कि सरकार को पहले से तैयारी करनी चाहिए थी, वरना यमुना नदी का जलस्तर बढ़ते ही हर साल यही समस्या सामने आती है।

 

धार्मिक आस्था और लोगों की प्रार्थना

मथुरा और वृंदावन में बाढ़ चाहे कितनी भी तबाही मचा ले, यहां के लोग इसे आस्था का प्रतीक मानते हैं। उनका मानना है कि जब यमुना मैया उफान पर होती हैं तो यह केवल चेतावनी है कि इंसान को अपने कर्म ठीक करने चाहिए। कई भक्त नावों में बैठकर भी कीर्तन कर रहे हैं। घाटों पर मौजूद साधु-संत लगातार मंत्र जाप कर रहे हैं ताकि हालात जल्द सुधरें। यहां की संस्कृति में यमुना नदी केवल जल का स्रोत नहीं, बल्कि मां के समान मानी जाती है। इसी वजह से हर कोई यही कह रहा है – “यमुना मैया को मनाओ रे कान्हा।” लोग मानते हैं कि सिर्फ भगवान श्रीकृष्ण ही इस हालात से उन्हें जल्द उबार सकते हैं।

 

भविष्य के लिए सीख

यह बाढ़ हमें यह सिखाती है कि अगर हमने समय रहते तैयारी नहीं की तो हर साल इसी तरह का संकट झेलना पड़ेगा। शहरों में अनियंत्रित निर्माण और प्रदूषण ने यमुना नदी की धारा को बाधित किया है। जल निकासी की व्यवस्था सही नहीं होने से पानी भराव तेजी से फैलता है। हमें जरूरत है कि हम न केवल प्रशासन पर भरोसा करें बल्कि अपनी जिम्मेदारी भी निभाएं। साफ-सफाई, नदी की देखभाल और सही प्लानिंग से यह संकट कम किया जा सकता है। अगर हम अब भी नहीं चेते, तो आने वाले वर्षों में हालात और बिगड़ सकते हैं। मथुरा और वृंदावन जैसे धार्मिक स्थान जो भारत की पहचान हैं, उन्हें बचाना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। यह केवल एक शहर या जिले का संकट नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को बचाने की लड़ाई है।

आज पूरा ब्रजक्षेत्र भगवान से यही प्रार्थना कर रहा है—हे कान्हा, जल्दी से यमुना मैया शांत हों और उनके दरिया दिल जल को हम सबके लिए आशीर्वाद में बदल दें।

मथुरा और वृंदावन में बाढ़ क्यों आई है?
मथुरा और वृंदावन में यमुना नदी का जलस्तर लगातार बढ़ने से बाढ़ आई है। ऊपर से छोड़े गए पानी और लगातार बारिश ने हालात को और बिगाड़ दिया।
इस बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाके कौन से हैं
मथुरा की गलियां, श्रीकृष्ण जन्मभूमि क्षेत्र, वृंदावन का बांके बिहारी मंदिर क्षेत्र और आसपास के गांव सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
प्रशासन बाढ़ से निपटने के लिए क्या कर रहा है?
प्रशासन ने राहत कैंप बनाए हैं, नावों से फंसे लोगों को बचाया जा रहा है और खाने-पीने की व्यवस्था भी की जा रही है।
लोग इस बाढ़ को आस्था से कैसे जोड़ रहे हैं?
कई लोग मानते हैं कि यमुना मैया का उफान एक चेतावनी है और वे ‘यमुना मैया को मनाओ रे कान्हा’ कहते हुए भगवान श्रीकृष्ण से प्रार्थना कर रहे हैं।
भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने का उपाय क्या हो सकता है?
नदी की सफाई, अनियंत्रित निर्माण पर रोक, सही जल निकासी व्यवस्था और पहले से तैयारी ही बाढ़ से बचने का सबसे बड़ा उपाय हो सकते हैं।