केंद्रीय गृह मंत्री ने मिनटों में औपचारिकताएँ पूरी करने वाला सिस्टम लॉन्च किया सोमवार की सुबह दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर खुशी का माहौल था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यहाँ फास्ट ट्रैक इमीग्रेशन व्यवस्था के विस्तार की घोषणा की। इस सिस्टम से यात्रियों को लंबी कतारों में खड़े रहने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पासपोर्ट स्कैन करने के बाद कुछ ही मिनटों में मुहर लग जाएगी और यात्री सीधा प्रस्थान हॉल में पहुँच पाएँगे। मंत्री ने कहा कि यह कदम देश की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय यात्रा आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।
कौन-कौन से हवाई अड्डों पर आज से मिलेगी नई सुविधा, जानिए पूरी सूची
अब तक यह सुविधा दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, कोच्चि, अहमदाबाद और कोलकाता में उपलब्ध थी। आज से लखनऊ, जयपुर, गोवा, चंडीगढ़ और गुवाहाटी को भी इस सूची में जोड़ दिया गया है। यानी कुल मिलाकर 12 हवाई अड्डों पर फास्ट ट्रैक इमीग्रेशन का फायदा मिल सकेगा। गृह मंत्री ने भरोसा दिलाया कि अगले चरण में भारत के बाकी व्यस्त एयरपोर्ट भी इस तकनीक से जुड़ेंगे।
यात्रियों को कितनी होगी समय की बचत और क्या बदलेगा अनुभव
अधिकारिक आँकड़ों के अनुसार पारंपरिक इमीग्रेशन काउंटर पर औसतन 20 से 25 मिनट लगते थे। नई प्रणाली इसे घटाकर पाँच से सात मिनट पर ले आती है। इससे ट्रांजिट वाले यात्रियों को फ्लाइट छूटने का डर कम होगा और बुज़ुर्गों तथा बच्चों के साथ सफर कर रहे परिवारों को भी राहत मिलेगी। यह सुविधा विशेष तौर पर उन यात्रियों के लिए उपयोगी है जो देर रात या तड़के पहुँचते हैं, जब स्टाफ की संख्या कम रहती है।
सुरक्षा एजेंसियों का दावा: तेज प्रक्रिया के साथ सुरक्षा में कोई समझौता नहीं
कुछ यात्रियों के मन में सवाल उठ सकता है कि क्या तेज़ी का मतलब सुरक्षा में ढील है। गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि नया सिस्टम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त बायोमेट्रिक पहचान तकनीक पर आधारित है। पहले की तरह ही पासपोर्ट और वीज़ा की जाँच होती है, बस प्रक्रिया अपने-आप डिजिटल हो जाती है। अगर किसी यात्री के दस्तावेज़ में गड़बड़ी मिलती है तो सिस्टम अलर्ट भेजता है और यात्री को मैनुअल काउंटर पर भेज दिया जाता है।
आगे की योजना: अगले साल कितने और एयरपोर्ट को जोड़ने की तैयारी
सरकार का लक्ष्य 2026 के अंत तक कम से कम 25 हवाई अड्डों पर फास्ट ट्रैक इमीग्रेशन शुरू करने का है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय पहले उन एयरपोर्ट को प्राथमिकता देगा जहाँ अंतरराष्ट्रीय यातायात सबसे अधिक है। इसके साथ ही पूर्वोत्तर और छोटे शहरों के नए टर्मिनल भी इस योजना में शामिल रहेंगे, ताकि क्षेत्रीय संतुलन बना रहे। बजट आवंटन के लिए वित्त मंत्रालय से शुरुआती मंजूरी मिल चुकी है।
विशेषज्ञों की राय: भारत के इमीग्रेशन सिस्टम में यह कदम कितना बड़ा
हवाई अड्डा प्रबंधन के विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बदलाव गेम-चेंजर साबित होगा। दुनिया के कई बड़े एयरपोर्ट—जैसे सिंगापुर चांगी और दुबई इंटरनेशनल—में ऐसी व्यवस्था पहले से है। भारत में इसके आने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और यात्री अनुभव सुधरेगा। विशेषज्ञों की राय है कि वक्त बचने से ड्यूटी-फ्री खरीददारी और रेस्तराँ की बिक्री भी बढ़ेगी, जिससे एयरपोर्ट के राजस्व में इज़ाफा होगा।
सरकार की डिजिटल इंडिया पहल से जुड़ता यह नया अध्याय
यह परियोजना केवल हवाई अड्डों तक सीमित नहीं है। गृह मंत्रालय इसे “डिजिटल इंडिया 2.0” का हिस्सा बता रहा है। भविष्य में रेल और समुद्री बंदरगाहों पर भी इसी तरह की तेज़ पहचान प्रणाली लगाने की योजना है। सरकार का मानना है कि तकनीक से बने भरोसे के माहौल में विदेशी पर्यटकों और निवेशकों की संख्या में बढ़ोतरी होगी।
अगर आप अंतरराष्ट्रीय उड़ान पकड़ रहे हैं तो किन दस्तावेज़ों की रहेगी जरूरत
नई व्यवस्था में भी मूल पासपोर्ट, वैध वीज़ा और बोर्डिंग पास अनिवार्य हैं। इसके अतिरिक्त ई-पासपोर्ट वाले यात्रियों को विशेष लाभ मिल सकता है, क्योंकि चिप में दर्ज जानकारी सीधे सिस्टम पढ़ लेता है। जो यात्री पहली बार यह सेवा ले रहे हैं, उन्हें सिर्फ स्क्रीन पर दिए निर्देशों का पालन करना होगा—पासपोर्ट स्कैन कीजिए, फिंगरप्रिंट दीजिए और आगे बढ़ जाइए। पूरी प्रक्रिया हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में ही निर्देश देती है, इसलिए भाषा की दिक्कत नहीं होगी।
आज उद्घाटन समारोह में क्या बोले अमित शाह
समारोह में अमित शाह ने कहा, “हमारा लक्ष्य सिर्फ यात्रा के समय को कम करना नहीं, बल्कि भारत के हर नागरिक और विदेशी मेहमान को सम्मानजनक अनुभव देना भी है। फास्ट ट्रैक इमीग्रेशन से दुनिया को यह संदेश जाता है कि भारत आधुनिक तकनीक को अपनाकर आगे बढ़ रहा है।” उन्होंने एयरपोर्ट अधिकारियों और तकनीकी टीम को बधाई भी दी।
असली फायदा छोटे शहरों के यात्रियों को मिलेगा, क्यों
अक्सर छोटे शहरों से आने वाले यात्रियों को इंटरनेशनल टर्मिनल में दिशा-निर्देश समझने में दिक्कत होती है। नई प्रणाली में ग्राफिकल संकेत और सरल भाषा का उपयोग है, जिससे भ्रम कम होगा। साथ ही, लाइन कम होने से यात्रियों को अपने कनेक्टिंग फ्लाइट का गेट ढूँढने या खाने-पीने की चीज़ें लेने का समय मिल जाएगा। यह सुविधा देश की आंतरिक कनेक्टिविटी को भी मजबूत करेगी, क्योंकि जब अंतरराष्ट्रीय यात्री खुश होंगे, तो वे देश के अन्य हिस्सों में यात्रा करना पसंद करेंगे।