आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में शुक्रवार तड़के एक ऐसा हादसा हुआ जिसने हर किसी के दिल को झकझोर दिया। हैदराबाद से बेंगलुरु जा रही एक प्राइवेट वोल्वो बस देखते ही देखते आग के गोले में बदल गई। इस हादसे में करीब 19 लोगों के जिंदा जल जाने की पुष्टि हुई है। यह भयानक आग एक बाइक से टकराने के बाद लगी, जिसकी चिंगारी ने पूरे बस को चंद मिनटों में राख बना दिया।
रात के अंधेरे में चौकाने वाली टक्कर
यह हादसा शुक्रवार की सुबह लगभग साढ़े तीन बजे हुआ जब हैदराबाद-बेंगलुरु बस कुरनूल के उल्लिंदापाडु गांव के पास से गुजर रही थी। बस में करीब 43 यात्री सवार थे। अचानक सामने से आ रही एक बाइक बस से टकरा गई और उसी पल सब कुछ बदल गया। बाइक बस के नीचे फंस गई, उसका पेट्रोल लीक हुआ और फिर आग ने बस को पूरी तरह अपनी चपेट में ले लिया।
कुछ ही मिनटों में बस बनी आग का गोला
आंखों देखी कहानियों के मुताबिक टक्कर के कुछ ही सेकंडों में आग इतनी तेजी से फैली कि किसी को संभलने का मौका तक नहीं मिला। जो यात्री जाग रहे थे, उन्होंने खिड़कियां तोड़कर बाहर निकलने की कोशिश की। लेकिन अफसोस, बस के दरवाजे आग के चलते जाम हो गए और अधिकतर लोग अंदर ही फंस गए। कुछ यात्रियों ने जान बचाने के लिए बाहर कूदने की कोशिश की मगर कई लोग वहीं जलकर राख हो गए।
बचे हुए यात्रियों का दर्दनाक बयान
एक जिंदा बची महिला यात्री ने बताया कि "हम सब सो रहे थे, अचानक एक तेज धमाका हुआ। बस झटके से रुकी और फिर अंदर धुआं भर गया। जब तक हम खिड़कियां तोड़ते, सब कुछ जल चुका था।" दूसरा यात्री जो किसी तरह बाहर निकला, उसने बताया कि “बस के अंदर चीख-पुकार मच गई थी, कोई कुछ समझ ही नहीं पा रहा था।”
सुरक्षा इंतजामों की खुली पोल
पुलिस और अग्निशमन विभाग के अफसरों ने बताया कि हैदराबाद-बेंगलुरु बस में सुरक्षा उपकरण बेहद कम थे। बस में शीशा तोड़ने के लिए कोई सेफ्टी हैमर नहीं था। हादसे के बाद दरवाजे जाम हो जाने से यात्री बाहर नहीं निकल सके। अधिकारी विक्रांत पाटिल ने कहा कि “बस के अंदर ज्वलनशील सामग्री बहुत थी, जिसने आग को और भड़काया। हमारे पास जो बची हुई लाशें मिली हैं, वे पहचानने लायक नहीं हैं।”
हादसे का असली कारण क्या था
प्रारंभिक जांच के अनुसार बाइक बस के नीचे फंस गई थी और पेट्रोल टैंक फटने से आग लगी। यह भी शक जताया जा रहा है कि बस की वायरिंग ने चिंगारी को फैलाने में और मदद की। हालांकि, फोरेंसिक टीम ने जांच शुरू कर दी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं बस में पहले से कोई तकनीकी खराबी तो नहीं थी।
मदद के लिए जुटा प्रशासन और सरकार
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने तुरंत राहत कार्य के आदेश दिए और कुरनूल जिला प्रशासन को निर्देश दिया कि घायलों को हर संभव चिकित्सा सहायता दी जाए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हादसे पर गहरा दुख जताया। करीब 10 यात्रियों को गंभीर हाल में कुरनूल के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पहचानना मुश्किल हुई लाशें
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि कई शव इतने बुरी तरह जल चुके हैं कि उनकी पहचान कर पाना मुश्किल हो रहा है। डीआईजी कोया प्रवीण ने कहा कि डीएनए के जरिए पहचान की कोशिश की जा रही है। हादसे में बाइक सवार की भी मौके पर मौत हो गई। बस और बाइक दोनों की हालत देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि आग कितनी भयावह थी।
पिछली यादें ताजा कर गया यह हादसा
यह हादसा 2013 में हुए उस महबूबनगर बस हादसे की याद दिला गया जिसमें इसी **हैदराबाद-बेंगलुरु बस** मार्ग पर 45 लोग जलकर मर गए थे। दोनों घटनाओं में एक जैसी लापरवाही और सुरक्षा खामियां देखने को मिलीं। इतने साल बाद भी निजी बस कंपनियों ने यात्रियों की सुरक्षा को गंभीरता से नहीं लिया है।
मानवता को झकझोर देने वाला मंजर
घटनास्थल पर मौजूद राहतकर्मियों ने बताया कि उन्हें कई शव एक-दूसरे से चिपके हुए मिले। कई लोग अपने मोबाइल फोन के जरिए परिवार को कॉल कर रहे थे, मगर नेटवर्क नहीं मिल रहा था। जिस बस में लोग आराम से सफर कर रहे थे, वही कुछ मिनटों में उनकी कब्र बन गई।
लापरवाही बन रही मौत की वजह
यह हादसा एक बड़ा सवाल खड़ा करता है – क्या हमारी सड़कों पर चलने वाले वाहन सच में सुरक्षित हैं? क्या खासकर रात के समय चलने वाली बसों में यात्रियों की सुरक्षा के उपाय सही तरीके से लागू किए गए हैं? प्रशासन और निजी कंपनियां इस ओर ध्यान नहीं देंगी तो ऐसे हादसे लगातार दोहराए जाएंगे।
जांच टीम की कार्यवाही और आगे की दिशा
फॉरेंसिक और परिवहन विभाग की संयुक्त टीम अब बस के इंजन और ईंधन टैंक की जांच कर रही है। इस बात की भी जांच हो रही है कि क्या बस कंपनी के पास वैध मेंटेनेंस रिकॉर्ड था या नहीं। पुलिस ने बाइक के अवशेषों को भी जब्त किया है ताकि टक्कर की गति और दिशा के बारे में सही अनुमान लगाया जा सके।
कई परिवारों की जीवनभर की पीड़ा
कुरनूल से लेकर हैदराबाद तक के अस्पतालों में कराहते लोगों और रोते परिवारों की चीखें हर किसी को भावुक कर रही हैं। एक ही परिवार के चार लोग इस हादसे में जलकर मर गए। परिजनों का कहना है कि उन्हें अब किसी से सिर्फ जवाब चाहिए – आखिर कब तक ऐसे हादसे हमारी नींद उड़ाएंगे।
यह दर्दनाक हैदराबाद-बेंगलुरु बस हादसा केवल एक सड़क दुर्घटना नहीं बल्कि हमारी लापरवाहियों का आईना है। यदि थोड़ी सी भी सावधानी या सुरक्षा होती तो शायद आज 19 जानें न जातीं। इस आग ने सिर्फ बस नहीं, कई परिवारों की दुनिया जलाकर राख कर दी। अब वक्त है कि सरकार, बस संचालक और आम लोग मिलकर ऐसे हादसों से सबक लें ताकि आने वाले कल में किसी की यात्रा मौत की यात्रा न बने।












