वैशाली में विरासत, परंपरा और बगावत की जंग: बिहार चुनाव 2025 में कौन मारेगा बाजी?
लोकतंत्र के आंगन में वैशाली की कहानी फिर से शुरू
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की हलचल तेज़ हो गई है। गली-गली में चर्चा। पोस्टर। जुलूस। और बयानबाज़ी। सब कुछ एक साथ। वैशाली। आठ सीटें। हाजीपुर, राघोपुर, महुआ, लालगंज, वैशाली, राजापाकर, पातेपुर, महनार। हर सीट की कहानी अलग। हर सीट पर दांव। हर सीट पर साख का सवाल। यहाँ विरासत भी है। बगावत भी। और परंपरा। एक-दूसरे से टकरा रही हैं।
हाजीपुर में भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर
हाजीपुर। नाम सुनते ही राजनीति की हलचल। भाजपा के लिए मुश्किल। साख दांव पर। स्थानीय नेता लगातार जनता के बीच। कोशिश। पर जनता की उम्मीदें अलग। लोग कहते हैं – “इस बार हवा बदली है।” पुराने वोटबैंक संभालना होगा। नहीं तो सीट फिसल सकती है। मुकाबला सिर्फ जीत का नहीं। भविष्य तय करने वाला है।
राघोपुर में लालू परिवार की विरासत की परीक्षा
राघोपुर। वही सीट। लालू प्रसाद यादव की पहचान। अब तेजस्वी यादव की जिम्मेदारी। जनता की नजरें उस पर। सवाल यह है कि क्या तेजस्वी इस विरासत को बचा पाएंगे या विरोधी लहर उन्हें घेर लेगी। हर चुनाव लालू परिवार के लिए परीक्षा बन जाता है। इस बार भी वही।
महुआ में तेज प्रताप यादव की बगावत
महुआ। सुर्खियाँ बटोर रही। तेज प्रताप यादव की बगावत। साफ। सामने। समर्थक कहते हैं – “सम्मान की लड़ाई है।” पार्टी कहती है – अनुशासन जरूरी। तनाव दोनों तरफ। महागठबंधन में हलचल। सवाल यही – महुआ तक रह जाएगी या पूरे जिले में गूंजेगी?
लालगंज और वैशाली में गठबंधन की मजबूती की परीक्षा
लालगंज और वैशाली। महागठबंधन की साख पर नज़र। समीकरण बदल रहे हैं। लोग अब व्यक्ति नहीं, काम देखकर वोट देते हैं। लालगंज – भाजपा और राजद के बीच कांटे की टक्कर। वैशाली – कांग्रेस और जदयू की प्रतिष्ठा जुड़ी। गठबंधन को एकजुट दिखाना होगा। वरना विपक्ष मौका लपक सकता है।
राजापाकर और पातेपुर में दिलचस्प मुकाबला
राजापाकर। जातीय समीकरण कम, उम्मीदवार की छवि ज़्यादा। नए चेहरे मैदान में। जनता कहती है – “विकास चाहिए, जात नहीं।” पातेपुर। पुराने नेता, नए चेहरे। मुकाबला दिलचस्प। सीट नतीजे में चौंका सकती है। जनता देख रही है।
महनार में पार्टी की प्रतिष्ठा और अंदरूनी कलह
महनार। अलग राजनीति। व्यक्ति की पकड़ मायने रखती। अंदरूनी खींचतान सामने। स्थानीय कार्यकर्ता मानते हैं – अगर कलह सुलझी नहीं, तो पार्टी कमजोर। जनता सब देख रही। बस इंतजार। इंतजार चुनावी अखाड़े के खुलने का।
वैशाली का फैसला सिर्फ आठ सीटों का नहीं
वैशाली का नतीजा पूरे बिहार पर असर डालेगा। मतदाता हमेशा संतुलन तय करते आए हैं। बगावत। परंपरा। विरासत। सब एक साथ। जनता आज भी अपने नेताओं को आज़माती है, पूरी तरह नहीं छोड़ती। इस बार भी वही दिख रहा है। विरासत भी, उम्मीद भी, थोड़ी बगावत भी।
अंत में
लोकतंत्र के आंगन वैशाली में इस बार सिर्फ चुनाव नहीं, इतिहास लिखा जाएगा। हर सीट की कहानी अलग – विरासत, बगावत, प्रतिष्ठा। अब देखना है – कौन मारेगा बाजी। विरासत, परंपरा या बगावत।