Bihar Election 2025 : नीतीश कुमार ने की बड़ी कार्रवाई, 11 बागी नेताओं को पार्टी से बाहर किया, जेडीयू में मचा हड़कंप

नीतीश कुमार ने की बड़ी कार्रवाई — बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जेडीयू में हड़कंप मच गया। पार्टी ने 11 बागी नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में बाहर का रास्ता दिखा दिया। नीतीश कुमार ने की बड़ी कार्रवाई तब की जब कई नेता पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ मैदान में उतरने की तैयारी में थे। जेडीयू ने कहा कि संगठन अनुशासन किसी से बड़ा नहीं, इसलिए जिसने नियम तोड़ा, उसे निकाल दिया गया। नीतीश कुमार ने की बड़ी कार्रवाई का संदेश साफ है — पार्टी में व्यवस्था और एकजुटता ही टिकेगी।

Bihar Election 2025 : नीतीश कुमार ने की बड़ी कार्रवाई, 11 बागी नेताओं को पार्टी से बाहर किया, जेडीयू में मचा हड़कंप

Bihar Election 2025 नीतीश कुमार ने दिखाई सख्ती, बागियों पर गिरी गाज, जेडीयू से 11 नेता हटाए गए

 

बिहार की राजनीति में यह शायद आज की सबसे बड़ी खबर थी। नीतीश कुमार ने बागियों पर बड़ी कार्रवाई की है। जनता दल (यू) ने अपने 11 नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया। पार्टी से तत्काल प्रभाव से निष्कासित कर दिए गए। यह फैसला चुनाव से कुछ ही महीने पहले आया है, जब पूरा राज्य पहले से ही चुनावी बहस में डूबा है।

 

बिहार में बगावत के बाद सख्त हुआ नीतीश कैंप

जनता दल (यू) में दिन-ब-दिन मतभेद बढ़ रहे थे। कई नेताओं की बयानबाजी खुलकर सामने आने लगी थी। कहा जा रहा था, कुछ लोग खुद को टिकट न मिलने से नाराज थे। पार्टी ने देखा, चेताया और अब साफ कह दिया — “जो हमारे रास्ते में नहीं, वो पार्टी में नहीं।”

राजनीति के जानकार कह रहे हैं कि नीतीश कुमार ने बागियों पर बड़ी कार्रवाई की सिर्फ अनुशासन के नाम पर नहीं, बल्कि यह पार्टी में भरोसे को वापस लाने की कोशिश भी है।

 

आदेश पत्र जारी होते ही फैल गई खबर

जेडीयू प्रदेश महासचिव चंदन कुमार सिंह ने शनिवार रात आदेश जारी किया। 11 नेताओं की सदस्यता रद्द। जिन‑जिन के नाम सूची में आए हैं, उनमें कुछ पूर्व मंत्री और संगठन के पुराने चेहरे भी हैं। आदेश में लिखा गया — “इन नेताओं की गतिविधियाँ पार्टी की विचारधारा के अनुरूप नहीं हैं, इसलिए ये अब पार्टी सदस्य नहीं माने जाएंगे।”

गांव से लेकर पटना के कॉरिडोर तक, हर ओर चर्चा — “क्या नीतीश अब अंदरूनी सफाई मोड में आ गए हैं?”

 

नीतीश का संदेश, सिर्फ वही टिकेगा जो अनुशासन में रहेगा

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई बार कहा है कि संगठन सबसे बड़ा होता है। शायद यही वजह है कि अब उन्होंने अपने उसी सिद्धांत को अमल में उतारा। एक वरिष्ठ नेता ने मुस्कराते हुए कहा — “साहब को अब किसी बहाने की जरूरत नहीं, जो बोलता है, उसी की छुट्टी।”

राजनीतिक हल्कों में यह बयान नीतीश के अनुशासन प्रेम की याद दिला गया है। जेडीयू में अब जो बचे हैं, वे नीतीश के फैसले को “साहसिक” बता रहे हैं।

 

विपक्ष ने साधा निशाना, बोले – डरे हुए हैं नीतीश

आरजेडी और कांग्रेस ने इस फैसले को राजनीति से प्रेरित बताया है। आरजेडी प्रवक्ता ने कहा – “जब आपकी पार्टी छोड़ने वाले बढ़ जाएं, तो इसका मतलब है जनता नहीं, भीतर की टीम ही भरोसे में नहीं। यह डर की राजनीति है।” दूसरी ओर, भाजपा ने भाष्य नहीं दिया, लेकिन सूत्रों के अनुसार, बीजेपी इसे “नीतीश का जोखिम भरा कदम” मान रही है।

विपक्ष के तंज के बावजूद जेडीयू नेताओं को पूरा भरोसा है कि यह कदम संगठन को मजबूत करेगा। “बेहतर है कि चुनाव से पहले ही सफाई हो जाए,” एक युवा कार्यकर्ता ने कहा।

 

सूत्रों का दावा – कुछ बागी तैयार कर रहे थे नया मोर्चा

पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि कुछ निष्कासित नेता मिलकर अपना मोर्चा बनाने की तैयारी कर रहे थे। ये नेता निर्दलीय या किसी गठबंधन में जाकर अपनी राजनीतिक सक्रियता बरकरार रखना चाहते थे। ऐसे में जेडीयू का यह फैसला उन्हें रोकने का संकेत है – “अगर जाओगे, तो अब हमारे नाम से नहीं।”

राजनीति के पुराने खिलाड़ी जानते हैं, नीतीश ऐसे फैसले सहजता से नहीं लेते। यह पहली बार नहीं जब पार्टी ने चुनाव के वक्त कठोर कदम उठाया हो। पहले भी 2020 और 2015 में चुनाव से पहले अनुशासन बरकरार रखने के लिए कुछ नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया गया था।

 

नीतीश कुमार की सोच – चुनाव से पहले माहौल साफ

पार्टी के अंदर साफ‑साफ माहौल बन गया है कि कमान अब सख्त हाथों में है। एक नेता ने कहा – “अब टिकट मिलने की उम्मीद वही रखे जो वफादारी निभाने को तैयार है।” इससे यह भी संकेत मिला है कि पार्टी में अब बहस नहीं, आदेश चलेगा।

सीधे शब्दों में, नीतीश कुमार ने बागियों पर बड़ी कार्रवाई की सिर्फ पार्टी के भीतर अनुशासन की खातिर नहीं, बल्कि बाहरी गठबंधन साझेदारों को विश्वास दिलाने के लिए भी। कि जेडीयू अब किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरतेगा।

 

कांग्रेस और आरजेडी में हलचल, चुनावी समीकरण पर नजर

नीतीश के इस कदम का असर न सिर्फ उनकी पार्टी, बल्कि पूरे बिहार के चुनावी समीकरण पर दिख रहा है। विपक्ष कह रहा है – “ये डर है, हारने का।” वहीं एनडीए के नेता इसे साहस बता रहे हैं – “कमजोर लोग निकालने की ताकत नहीं रखते।”

कुल मिलाकर, राज्य की राजनीति अब बयानबाजी से आगे बढ़ चुकी है। हर कदम एक संकेत बन चुका है कि चुनाव अब सचमुच करीब हैं।

 

विश्लेषकों की राय – नीतीश का कदम रणनीतिक

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह सिर्फ “सफाई अभियान” नहीं, बल्कि नीतीश का “पावर डिस्प्ले” भी है। वह यह संदेश दे रहे हैं कि पार्टी वही है जो उनके निर्णय पर टिकी है। लोकसभा टिकट बंटवारे में हुए विवाद के बाद ये कार्रवाई एक तरह से नियंत्रण साधने की कोशिश मानी जा रही है।

नीतीश का यह कदम शायद यह भी बता रहा है कि जेडीयू अब कमजोर नहीं, बल्कि संयमित हाथों में है। “ऐसा कोई नहीं बचेगा जो पार्टी अनुशासन के खिलाफ बोले,” एक वरिष्ठ नेता ने हंसते हुए कहा।

 

पार्टी का दावा – यह कदम जनता का भरोसा बढ़ाएगा

जेडीयू नेताओं के मुताबिक, पार्टी कार्यकर्ताओं में इस कार्रवाई से नया जोश आ गया है। जो लोग असमंजस में थे, अब वे समझ गए हैं कि बिना संगठन के कोई राजनीति नहीं। प्रदेश सचिव ने कहा – “हम चुनाव में जाने से पहले अपने घर की सफाई कर चुके हैं।”

जानकारों के अनुसार, ऐसे फैसले किसी भी चुनावी संगठन को नई ऊर्जा देते हैं। खासकर तब जब राज्य में सत्ता विरोधी लहर की चर्चा हो। नीतीश चाहते हैं कि अब मुद्दा शासन के कामकाज और गठबंधन के साख पर टिके।