Bihar Elections 2025 : दीपंकर भट्टाचार्य बोले, महागठबंधन में सीएम चेहरा तय, दोस्ताना मुकाबले से गठबंधन पर कोई असर नहीं

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच भाकपा-माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य बोले कि महागठबंधन में मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई भ्रम नहीं है। उन्होंने कहा, दोस्ताना मुकाबले की बातें सिर्फ अफवाह हैं, इससे गठबंधन की एकजुटता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। दीपंकर भट्टाचार्य बोले कि असली लड़ाई भाजपा की नीतियों के खिलाफ है।

Bihar Elections 2025 : दीपंकर भट्टाचार्य बोले, महागठबंधन में सीएम चेहरा तय, दोस्ताना मुकाबले से गठबंधन पर कोई असर नहीं

बिहार चुनाव 2025 : दीपंकर भट्टाचार्य बोले - महागठबंधन में सीएम चेहरा तय, दोस्ताना मुकाबले से गठबंधन पर असर नहीं

 

दीपंकर भट्टाचार्य का बयान, जिसने माहौल गरमा दिया

बिहार में चुनाव की सरगर्मियां बढ़ गई हैं। गली-गली में राजनीति की बातें, पोस्टर, जुलूस, और बयानबाज़ी – सब कुछ एक साथ चल रहा है। ऐसे वक्त में भाकपा-माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य का बयान अचानक सुर्खियों में आ गया। उन्होंने कहा कि महागठबंधन में मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर कोई भी भ्रम नहीं है।

उनके लहजे में आत्मविश्वास साफ झलक रहा था। उन्होंने कहा – “चेहरा वही होगा, जिस पर जनता भरोसा करेगी।” जैसे वो किसी बहस को खत्म कर देना चाहते हों। कई दिनों से चल रही अटकलों पर ये बयान जैसे विराम की तरह आया। उन्होंने जो कहा, उसमें एक सादगी थी, लेकिन उसके पीछे एक सियासी संदेश भी छिपा था।

 

महागठबंधन में दोस्ताना मुकाबले की बात पर खुलकर बोले

पत्रकारों ने पूछा – “क्या कुछ सीटों पर फ्रेंडली फाइट होगी?” दीपंकर भट्टाचार्य हल्के से मुस्कुराए। बोले, “लोकतंत्र है भाई, मतभेद होना कोई बुरा नहीं। पर इससे गठबंधन कमजोर नहीं होता।” उनकी बात में एक सहजता थी, जैसे वो किसी पुराने साथी से बात कर रहे हों।

उन्होंने कहा कि कुछ जगहों पर स्थानीय समीकरणों के चलते दोनों दलों के उम्मीदवार मैदान में उतर सकते हैं, लेकिन इससे महागठबंधन की जड़ें नहीं हिलेंगी। “लोग जानते हैं, असली लड़ाई किससे है,” उन्होंने कहा। ये बात सुनकर वहां मौजूद लोगों ने सिर हिलाया, मानो सबको पहले से पता हो।

 

भाजपा पर सीधा हमला, बोले - मुद्दों से भाग रही है सत्ता

जब उनसे भाजपा की रणनीति पर सवाल पूछा गया, तो दीपंकर भट्टाचार्य थोड़ा सख्त दिखे। बोले, “भाजपा जनता के असली मुद्दों से भाग रही है। महंगाई, बेरोजगारी, किसान संकट — ये सब गायब हैं उनके एजेंडे से।”

उन्होंने कहा कि भाजपा हर बार चुनाव आते ही धर्म और जाति का कार्ड खेलती है। लेकिन इस बार जनता समझ चुकी है। “लोग अब नफरत नहीं, रोजगार मांग रहे हैं,” उन्होंने कहा। उनकी आवाज में दृढ़ता थी। कुछ देर तक माहौल खामोश रहा। जैसे हर कोई सोच रहा हो – क्या सच में इस बार मुद्दा बदलेगा?

 

महागठबंधन का एजेंडा – जनता की तकलीफें और उम्मीदें

उन्होंने बताया कि महागठबंधन का एजेंडा साफ है। किसान, नौजवान, गरीब और महिलाएं – यही केंद्र हैं। उन्होंने कहा, “हम सिर्फ सत्ता में आने के लिए नहीं, बल्कि बिहार को एक नई सोच देने के लिए लड़ रहे हैं।”

दीपंकर ने बताया कि इस बार गांवों में भी माहौल अलग है। लोग खुलकर सवाल पूछ रहे हैं, नेता जवाब दे रहे हैं। यह सब पहले इतना साफ नहीं था। “जनता अब डर नहीं रही, वो जाग चुकी है,” उन्होंने कहा। उनके शब्दों में एक भरोसा था, जैसे वो खुद उस बदलाव को महसूस कर रहे हों।

 

फ्रेंडली फाइट की राजनीति का असली मतलब

दीपंकर भट्टाचार्य ने समझाया कि ‘फ्रेंडली फाइट’ कोई तोड़ नहीं होती, यह लोकतंत्र की खूबसूरती है। बोले, “कभी-कभी दो साथी भी मुकाबले में उतरते हैं, लेकिन मकसद एक ही रहता है – बदलाव।”

उन्होंने एक किस्सा भी बताया। “कई बार गांवों में लोग कहते हैं – दोनों हमारे हैं, जिसे चाहो वोट दो। लेकिन सरकार हमारी होनी चाहिए।” यह बात सुनते ही हॉल में बैठे लोग मुस्कुराने लगे। राजनीति का बोझ जैसे हल्का हो गया।

 

बिहार के चुनावी माहौल में जनता का मिज़ाज बदल रहा है

अब गांवों में लोग बात बदल चुके हैं। पहले जात-पात की चर्चा होती थी, अब रोजगार की। दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि जनता का मूड अब बिल्कुल अलग है। लोग बस इतना चाहते हैं कि कोई उन्हें सुने, कोई उनके बच्चों के भविष्य की बात करे।

उन्होंने कहा, “हमारी राजनीति अब जनता के दिल से निकल रही है। अगर लोग बोलेंगे, तो सच्चाई बदलेगी।” यह सुनते ही कमरे में मौजूद रिपोर्टर भी कुछ पल के लिए खामोश हो गए। शायद सबको यह एहसास हुआ कि यह बयान सिर्फ राजनीति नहीं, एक सच्चाई है।

 

महागठबंधन में भरोसे का संदेश

दीपंकर भट्टाचार्य ने अपने बयान के आखिर में कहा कि गठबंधन के सभी दल एक दिशा में चल रहे हैं। “हम सबको पता है कि बिहार को किस दिशा में ले जाना है,” उन्होंने कहा।

उन्होंने जोड़ा, “मुख्यमंत्री का चेहरा जनता तय करेगी, नेता नहीं। हम सिर्फ जनता की आवाज़ बनकर रहेंगे।” यह वाक्य जैसे पूरे बयान का सार था। कहीं न कहीं यह बात लोगों के दिल में उतर गई।

 

अंत में – बिहार की राजनीति का नया मोड़

बिहार का चुनावी मैदान इस बार अलग है। लोग सवाल कर रहे हैं, और नेता जवाब देने को मजबूर हैं। दीपंकर भट्टाचार्य का बयान इस माहौल को और जीवंत कर गया।

अब देखना यह है कि महागठबंधन इस एकजुटता को कितना निभा पाता है। लेकिन इतना तय है – बिहार में हवा बदल रही है। जनता अब केवल सुनना नहीं चाहती, वो जवाब चाहती है। और शायद यही लोकतंत्र की सबसे सुंदर बात है।