Bihar पटना मनेर में 12 साल के बच्चे की हत्या, गंगा से बरामद हुआ जला हुआ शव, पिता समेत 4 गिरफ्तार
पटना के मनेर इलाके में ऐसा मंजर… शायद कोई भूल नहीं पाए। 12 वर्षीय मासूम की हत्या। हत्या के बाद उसका जला हुआ शव गंगा नदी से मिला। जिसने सुना, उसके रोंगटे खड़े हो गए। गांव का नाम शेरपुर। जहां कल तक बच्चे खेलते दिखते थे, वहां आज खामोशी पसरी है। पुलिस ने बच्चे के पिता और चार परिजनों को गिरफ्तार किया है। मां की हालत देख हर किसी की आंखें भर आईं – उसने ही अपने पति और चार लोगों पर बेटे की हत्या का आरोप लगाया है।
गांव में चर्चा – पिता ने की बेटे की हत्या, किसने सोचा था
गांव के लोग आपस में फुसफुसाते हैं – "कोई बाप कैसे अपने बेटे को मार सकता है?"... लेकिन यहीं हुआ। पुलिस कहती है – मामला पारिवारिक विवाद का है। घटना शुक्रवार देर शाम की है। मासूम घर से लापता था। सुबह आसपास के मछुआरों ने गंगा में अजीब चीज दिखी, देखा तो जला हुआ छोटा शव। तुरंत थाने में खबर दी गई। पुलिस भागी-भागी पहुंची। सारे गांव में खबर फैल गई, कि न जाने किसका बेटा था। जल्द ही पहचान हो गई – वही बच्चा, जो पिछली रात से गायब था।
मां के बयान ने सबको चौंका दिया
जब मां थाने में पहुंची, उसकी आंखो में आंसू और गुस्सा दोनों थे। "मेरे पति ने – हां, उसी ने बेटे को मार दिया।" पुलिस ने पूछा तब उसने बोला – "हमारे घर में रोज झगड़े होते थे… बेटे को मारने की धमकी पहले भी मिल चुकी थी। उस रात भी झगड़ा हुआ। फिर बच्चा गायब। सुबह शव मिला।"
मां बोली – "मुझे पहले तो यकीन न हुआ, लेकिन जब गंगा किनारे उसका जला शव देखा, तो मेरे होश उड़ गए।" बयान सुन थानेदार भी चुप हो गए।
आरोपियों में पिता और परिवार के चार लोग, सब हिरासत में
पुलिस ने तफ्तीश में पाया – परिवार ही शक के दायरे में है। पूछताछ तेज हुई। पड़ोसियों ने बताया – "घर में अक्सर लड़ाई-झगड़ा होता था। कई बार बच्चे को मारने की धमकी सुन चुके थे।"
फिलहाल थानेदार बोले – "पांच आरोपी, मुख्य रूप से पिता, सबको पकड़ा गया है। सबका बयान लिया जा रहा है।" उन्होंने जोड़ा, “ऐसा क्रूर अपराध देखने को विरले ही मिलता है।”
गंगा से जो शव निकला, वह किसी अपराध फिल्म से कम नहीं
गांव के बच्चे, महिलाएं, सब गंगा किनारे जमा थे। पुलिस ने जली हालत में शव बाहर निकाला। जांच के लिए भेजा गया – पोस्टमार्टम, फॉरेंसिक। कपड़ों के कुछ टुकड़े, गले का ताबीज, यहीं से बच्चे की पहचान पक्की हुई। हर किसी का दिल दहल गया।
लोग कहते हैं – "हमने ऐसा दृश्य पहले कभी नहीं देखा। यहां कुछ भी हो सकता है, लेकिन बाप ही अपने बेटे का गला घोंट दे…!"
पुलिस की तेजी – हर कोण से जांच, गांव में सन्नाटा
पुलिस वालों ने कहा – “मामला संवेदनशील है। हम पारिवारिक, मानसिक तनाव, संपत्ति विवाद हर दिशा में जांच कर रहे हैं।” गांव की गलियों में सन्नाटा था। सब आहिस्ता बोलते – “जिस घर से आवाज़ें आती थीं, आज वहां ताले हैं…”
किसी बुजुर्ग ने कहा – “बड़ी बहसें हम सबने सुनी थीं, लेकिन इस हद तक जाएंगे, किसे मालूम था।” पुलिस को उम्मीद है – पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद आरोपियों पर कठोर धारा लगेगी।
मासूम की मौत पर गांव में गुस्सा, स्कूल से लेकर चौपाल तक मातम
जली हुई लाश गांव लायी गई तो हर किसी के दिल में सवाल था – क्यूं? घरों के बाहर मातम। स्कूल में जब खबर पहुंची, शिक्षक भी रोए। “वह लड़का बहुत सीधा था, कभी किसी से उलझता नहीं था।” बच्चे उसके नाम से सहमे थे। मासूम की हत्या ने सबकी रातों की नींद छीन ली।
कानून क्या करेगा, जख्म दिल का है
पुलिस कहती है – “कानून अपना काम करेगा। सभी दोषी सजा पाएंगे।” पर मां की हालत बता देती है कि इंसाफ भी कभी-कभी कम नजर आता है। गांव वाले कहते हैं – “अब विश्वास किस पर करें?” जिस पिता से सुरक्षा मिलनी चाहिए, वहीं सबसे बड़ा डर बन गया।
संख्या एक, दर्द हजार – जब मासूमियत दरिंदगी में डूब गई
हिसाब से तो घटना बस एक क्राइम रिपोर्त है। मगर असल में यह गांव, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक सबक है – रिश्ते जब जहर बन जाएं, तो इंसान कुछ भी कर सकता है। मासूमियत हार गई, सामाजिक तानाबाना फिर टूटा।
इतनी खौफनाक वारदात के बाद, बिहार में फिर वही सवाल – कब थमेगा बच्चों पर अपराधों का सिलसिला? और मांओं की आंख से आंसू आखिर कब सूखेंगे?


