छपरा में खेसारी लाल यादव का जोशीला अंदाज़, बोले – मैं हूं नाचने वाला, पर अब बोलना चाहता हूं…
छपरा की गलियां आज कुछ अलग थीं। लोगों के चेहरे पर खुशी थी, और हवाओं में उम्मीद की गंध। क्योंकि वहां पहुंचे थे खेसारी लाल यादव — वो शख्स जिस पर पूरा भोजपुरिया इलाका फिदा है। इस बार मंच फिल्मी नहीं था, असली था… राजनीति का। जहां समर्थकों ने अपने चहेते कलाकार को दूध से नहलाया, और सिक्कों से तोल दिया। यह नज़ारा किसी राजनीतिक सभा जैसा नहीं था, यह एक भावनात्मक जश्न था।
दूध और सिक्कों से किया स्वागत, जैसे कोई मेला हो
सुबह की धूप खिली थी, लेकिन लोगों का उत्साह उससे कहीं तेज़ था। गांव-गांव से लोग आए थे, अपने पोस्टर और झंडे लेकर। जैसे ही खेसारी लाल यादव का काफिला छपरा में दाखिल हुआ, नारों और तालियों से हवा भर गई। किसी ने दूध से नहलाया, किसी ने फूल बरसाए, और कुछ ने सिक्के उछाले। ऐसा दृश्य मानो कोई नेता नहीं, बेटा लौट रहा हो अपने गांव। लोगों की आंखों में चमक थी और होंठों पर बस एक बात – “हमारा खेसारी!”
मैं हूं नाचने वाला, लेकिन अब बोलना चाहता हूं…
जैसे ही उन्होंने मंच संभाला, पहली लाइन ने पूरे माहौल को बदल दिया। उन्होंने कहा – “मैं जानता हूं, लोग कहते हैं कि मैं नाचने वाला हूं, लेकिन आज मैं उन लोगों के लिए बोलना चाहता हूं जिनकी आवाज़ कोई नहीं सुनता।” उनकी आंखों में सच्चाई थी, आवाज़ में अपनापन। भीड़ एक पल के लिए शांत हुई, फिर तालियों से गूंज उठी। खेसारी ने कहा, “अब वक्त है काम की बात करने का, धर्म और जाति की नहीं।” लोग चिल्लाए – “खेसारी भइया जिंदाबाद!”
गरीबों के लिए बड़ा वादा किया
खेसारी के भाषण में राजनीति नहीं, भरोसा था। उन्होंने कहा, “मैं यहां कुर्सी के लिए नहीं, गरीबों के हक की लड़ाई लड़ने आया हूं।” उन्होंने लोगों से सीधे कहा कि वो छपरा का चेहरा बदलेंगे। सड़क की धूल, बेरोजगारी की धुंध – यह सब अब खत्म होगा। उन्होंने कहा, “मेरी पहचान गानों में नहीं, जनता के बीच बनेगी।” लोगों ने सिर हिला कर कहा - “अबकी बार खेसारी हमारा प्रतिनिधि होगा।”
सिर्फ काम की बात, धर्म की नहीं
खेसारी लाल यादव ने बड़ी सादगी से कहा, “मैं धर्म की नहीं, रोज़गार और सड़कों की राजनीति करूंगा।” उन्होंने मुस्कुराकर जोड़ा, “मैंने फिल्मों में लोगों को हंसाया, अब राजनीति में उनके जीवन में रोशनी लाना चाहता हूं।” उनकी इस बात पर भीड़ ने जमकर तालियां बजाईं। एक बुजुर्ग बोले – “हमने नेताओं की बातें बहुत सुनीं, अब खेसारी का इरादा सुनिए।” लोगों के दिलों में यह बात बस गई कि शायद पहली बार कोई नेता छपरा को सच में समझ रहा है।
फिल्मी स्टार नहीं, जनता का बेटा दिखे खेसारी
उनका भाषण खत्म हुआ तो मंच नहीं, पूरा मैदान तालियों से गूंज उठा। खेसारी नीचे उतरे, बच्चों से मिले, बुजुर्गों के पैर छुए। उन्होंने कहा, “आज मैं अभिनेता नहीं, एक बेटा बनकर यहां आया हूं।” उनकी यह बात लोगों के दिल तक पहुंच गई। कई लोगों ने कहा कि अब छपरा की राजनीति में एक अपना चेहरा दिखा है। लोगों ने उन्हें दुआ दी, “बेटा, अब छपरा को बदल देना।”
जुलूस में उमड़ा जनसैलाब
मंच से पहले और बाद दोनों ही वक्त उनका जुलूस देखने लायक था। हर गली, हर मोहल्ले में लोग छतों से झांक रहे थे। महिलाएं फूल बरसा रही थीं, बच्चे झंडे लहरा रहे थे। एक महिला ने कहा, “यह लड़का सिर्फ मंच का नहीं, दिल का कलाकार है।” कहीं फिल्मी गाने गूंज रहे थे, तो कहीं लोग बस “हमारा नेता खेसारी लाल” के नारे लगा रहे थे। यह भीड़ सिर्फ प्रशंसक नहीं, अब मतदाता भी बन चुकी थी।
साधारण शब्दों में बड़ी बात
खेसारी ने राजनीति के जटिल शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया। उनके हर वाक्य में सरलता थी, सच्चाई थी। उन्होंने कहा, “मैं वादा नहीं करूंगा, काम दिखाऊंगा।” यह सुनकर भीड़ ने एक स्वर में कहा – “बस यही चाहिए।” उनका स्वभाव, उनका लहजा और लोगों से जुड़ाव स्पष्ट कर रहे थे कि यह नेता बनावटी नहीं है। उनकी बातों में वही साफगोई थी जो फिल्मों के किरदारों में दिखाई देती है।
छपरा का रंग बदलेगा?
शाम तक पूरा शहर खेसारी के नाम से चमक उठा। लोगों के बीच यह चर्चा आम थी कि क्या यह फिल्म स्टार सच में राजनीति बदल सकता है? एक दुकानदार ने कहा, “अगर इरादा सच्चा है, तो बदलाव जरूर आएगा।” चाहे बूढ़े हों या युवा, हर किसी के पास उनकी कही बातें गूंज रही थी। भोजपुरी सुपरस्टार के इस नए रूप ने लोगों में नई उम्मीद जगाई है।


