भीड़ तो आई, पर नहीं आए प्रशांत किशोर : जनसुराज सभा में इंतजार करते रहे समर्थक, बिहार विधानसभा चुनाव में बढ़ी सियासी हलचल

जनसुराज सभा में इंतजार करते रहे समर्थक हर तरफ भीड़ थी और उम्मीदें थीं, लेकिन प्रशांत किशोर नहीं आए। समर्थन के बीच निराशा भी थी, फिर भी जनता की उम्मीद जनसुराज के लिए बरकरार रही। सभा ने बिहार विधानसभा चुनाव में सियासी हलचल को और तेज कर दिया।

भीड़ तो आई, पर नहीं आए प्रशांत किशोर : जनसुराज सभा में इंतजार करते रहे समर्थक, बिहार विधानसभा चुनाव में बढ़ी सियासी हलचल

प्रशांत किशोर के बिना भी उमड़ी भारी भीड़, जनसुराज सभा का नजारा

 

जगदीशपुर में जनसुराज बिहार बदलाव सभा का माहौल जबरदस्त था। सुबह से लोग जुटे थे, हर किसी की निगाहें मंच पर लगाई थीं। सबको लग रहा था, जल्द ही प्रशांत किशोर की आवाज सुनाई देगी, लेकिन समय बीतता रहा और वे नहीं आए। भीड़ इंतजार करती रही, पर नेता की गैरमौजूदगी साफ दिख रही थी।

 

मंच सजा था, पर प्रशांत किशोर की कमी खल रही थी

मंच पर हर चीज थक-हार के साथ इंतजार कर रही थी। फ्लैग लहराते रहे, समर्थक नारे लगाते रहे। उन्होंने जोश दिखाया, लेकिन मन कहीं उदास था। सबको पता था, वक्त का तंग टकराव है और प्रशांत किशोर आज आ नहीं पाएंगे। फिर भी, उम्मीद बरकरार रही।

 

समर्थकों ने किया जोरदार रोड शो, भावना जगी

प्रशांत किशोर ने सभा में नहीं आने का नुकसान रोड शो से पूरा किया। उन्होंने भीड़ से मुलाकात की, हाथ हिलाए और अपनी बात उन्होंने अलग अंदाज में कही। लोगों ने दिल खोलकर उनका स्वागत किया। युवाओं और महिलाओं की संख्या बड़ी थी, जो बदलाव की हवा लेकर आई थी।

 

मतदाता जागरूकता रैली में जीविका दीदियों का उत्साह

इसी बीच सिकटा में जो हुआ, वो और भी अलग था। जीविका दीदियों ने मतदाता जागरूकता रैली निकाली, जहां हर कोई वोट की अहमियत समझाने में लगा था। उन्होंने भीड़ को बताया कि वोट से ही बदलता है बिहार का भविष्य। यह नारा सबके दिलों में बस गया।

 

जनसुराज के सपनों का अब भी इंतजार बाकी है

सभा भले ही आधूरी रही, लेकिन जनसुराज समर्थक हार नहीं माने। वे जानते हैं कि यह सिर्फ शुरुआत है। प्रशांत किशोर के बिना भी वे बदलाव के लिए चल पड़े हैं। उम्मीदें हैं कि जल्द ही वो लौटेंगे और नई ऊर्जा लेकर आएंगे। अभी तो बस इंतजार बाकी है।

 

बिहार चुनावी मैदान में बदलाव की उम्मीदें बढ़ीं

प्रशांत किशोर ने बिहार के राजनीतिक नक्शे को हिलाने का संकेत दिया है। उनकी पार्टी जनसुराज ने युवाओं और आम जनता को जोड़ने की कोशिश की है। भले ही वे सभा में नहीं आए, पर उनकी मौजूदगी हर जगह महसूस की गई। इंतजार लंबा है, लेकिन लोग तैयार हैं।

 

आशंकाएं और उम्मीदें दोनों साथ-साथ हैं

कुछ लोगों का कहना है कि प्रशांत किशोर का न आना नकारात्मक संकेत हो सकता है। लेकिन समर्थक इसे चुनौतियों की वजह मानकर आगे बढ़ रहे हैं। राजनीति में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। यहां जनता की आवाज सबसे बड़ी चीज है। जनता ने जनसुराज को चुना है, और वो रुकने वाले नहीं।