चुनावी हलचल में JDU को बड़ा झटका, औरंगाबाद में जिलाध्यक्ष समेत कई पदाधिकारियों का इस्तीफा

चुनावी माहौल में जदयू को एक बड़ा झटका लगा है। औरंगाबाद में जिलाध्यक्ष सहित कई पदाधिकारियों का इस्तीफा पार्टी की नीतियों और टिकट वितरण के फैसले को लेकर आया है। पदाधिकारियों का इस्तीफा इस बात का संकेत है कि संगठन में गहरी नाराजगी है और यह चुनावी रणनीति पर असर डाल सकता है।

चुनावी हलचल में JDU को बड़ा झटका, औरंगाबाद में जिलाध्यक्ष समेत कई पदाधिकारियों का इस्तीफा

चुनाव से पहले JDU को बड़ा झटका औरंगाबाद में

 

चुनाव से पहले JDU को बड़ा झटका, औरंगाबाद में पदाधिकारियों ने दिया इस्तीफा

चुनाव की हवा चल रही थी, जब औरंगाबाद से अचानक खबर आई कि JDU को भारी झटका लगा है। जिलाध्यक्ष समेत कई पदाधिकारियों ने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया। ये इस्तीफे एकदम से जैसे बम फट गए हों। एक तरफ टिकट वितरण की बात चल रही थी और दूसरी तरफ पार्टी के भीतर हलचल तेज हो गई थी।

 

प्रमोद कुमार सिंह को टिकट मिलने पर भड़के कार्यकर्ता, बोले वापस लेना चाहिए फैसला

जदयू से टिकट मिलने के बाद प्रमोद कुमार सिंह के नाम पर विवाद उठ खड़ा हुआ। कार्यकर्ताओं का आरोप था कि प्रमोद कभी पार्टी के सदस्य नहीं थे। वे नीतीश कुमार के विरोधी रहे हैं। यह बात सुनकर बहुत लोग नाराज हो गए। कहीं-कहीं नेताओं के बीच तो टकराव की खबरें भी आने लगीं।

 

काम तो पार्टी ने बढ़िया किया पर लोगों के जबड़े पर ताला लग गया

टिकट वितरण में त्वरितता थी, लेकिन पार्टी के खुद के लोगों को सुनना जरूरी था। पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की नाराजगी इतनी थी कि उन्होंने इस्तीफा देना उचित समझा। स्थिति अचानक गंभीर हो गई। पार्टी को लगा कि जल्दी संभालना होगा, वरना चुनावी अभियान कमजोर पड़ सकता है।

 

पूर्व जिलाध्यक्ष ने साफ किया इस्तीफा पार्टी से नहीं पद से है

अशोक कुमार सिंह ने कहा कि उन्होंने पार्टी को नहीं छोड़ा, सिर्फ पद से इस्तीफा दिया है। उनका कहना था कि वे अभी भी पार्टी के प्रति समर्पित हैं लेकिन इस बार के फैसले से मन में चोट लगी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि पार्टी इस स्थिति को जल्द संभालेगी।

 

इस्तीफों के बाद पार्टी ने चुना नया कार्यकारी जिलाध्यक्ष

जल्दी से पार्टी ने कदम उठाया और धर्मेंद्र कुमार सिंह को कार्यकारी जिलाध्यक्ष बनाया। उन्होंने अपने पहले बयान में कहा कि संगठन को मजबूत करेंगे और सभी पिछड़े नेताओं को साथ लेकर चलेंगे। पार्टी के लिए यह वक्त है सबको जोड़ने का।

 

युक्ति क्या होगी जदयू की, चुनाव तक बचे कम दिन

अब देखना होगा कि जदयू इस बड़ी चुनौती से कैसे निकलेगा। औरंगाबाद की यह हलचल पूरे चुनाव पर असर डाल सकती है। पार्टी के लिए जरूरी है कि वह तुरंत संगठन को शांत करे और काम पर फोकस करे। फैंसलों के बीच तालमेल ही जीत की कुंजी हो सकती है।