मुंगर रैली में बोले अमित शाह, NDA की एकजुटता पर पांडवों जैसा उदाहरण
मुंगर की हवा कुछ अलग थी उस दिन। मैदान में हजारों लोग, झंडे लहराते, नारे गूंजते और सबकी निगाहें मंच पर टिक गईं। तभी अमित शाह आए, जोशीले अंदाज में। उन्होंने कहा— NDA पांडवों की तरह एकजुट होकर चुनाव लड़ रहा है। यह बात सुनते ही पूरा जनसमूह तालियों से गूंज उठा। शाह बोले, अब कोई हमें तोड़ नहीं सकता। हम विकास के लिए लड़ रहे हैं, सत्ता के लिए नहीं।
भीड़ से मिला संदेश कि बिहार का मूड बदल चुका है
कहते हैं वातावरण ही किसी रैली का हाल बता देता है। मुंगर में ऐसा माहौल था जैसे लोग लंबे इंतजार के बाद सामने वाली ताकत को सुनना चाहते हों। अमित शाह ने मुस्करा कर भीड़ की ओर देखा और बोले – “देखिए, ये भीड़ बता रही है कि बिहार अब विकास चाहता है, पीछे जाने का नहीं।” आवाज में विश्वास साफ था। उनके हर शब्द पर लोग सिर हिला रहे थे, जैसे सबने मन से तय कर लिया हो कि इस बार फिर NDA को मौका मिलेगा।
शाह ने लालू-राबड़ी शासन की याद दिलाई, कहा वो दौर डर का था
अमित शाह ने अपनी रैली में अचानक टोन बदला। गंभीर स्वर में बोले, “बिहार ने लालू-राबड़ी के शासन में क्या झेला, वो लोग कभी भूल नहीं पाएंगे।” उन्होंने कहा कि उस समय हत्या, फिरौती, अपहरण रोज की खबर थी। लोग शाम ढलते ही घरों के दरवाज़े बंद कर लेते थे। शाह ने कहा, “वो शासन बिहार को तहस-नहस कर गया। उसने अपने लोगों को डर में जीने पर मजबूर कर दिया।”
शाह ने भीड़ की ओर इशारा करते हुए जोड़ा, “आप देख रहे हैं, आज बिहार के लोग वही दर्द दोबारा नहीं चाहते। NDA ने जो वादा किया, वो निभाया — सड़के बनाईं, बिजली दी, नौकरियाँ दीं।”
विकास पर NDA की रणनीति, पांडवों जैसा साथ
रैली का माहौल और शाह की बोली दोनों एक कहानी जैसी लग रही थी। जब उन्होंने कहा कि NDA पांडवों की तरह एकजुट होकर चुनाव लड़ रहा है, तो उन्होंने ठहर कर भीड़ को देखा। बोले — “महाभारत में पांडवों ने धर्म और न्याय के लिए लड़ाई लड़ी थी, और NDA उसी न्याय और विकास की राह पर है।” लोगों ने नारे लगाए — “जय बिहार, जय NDA!”
शाह ने आगे जोड़ा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बिहार को जितनी योजनाएँ मिली हैं, उनका असर गाँव-गाँव में दिख रहा है। उन्होंने हल्के अंदाज़ में कहा, “लालू जी के समय में सड़क पर चलना कठिन था, आज उसी सड़क पर बिजली के खंभे चमक रहे हैं।” यह वाक्य सुनकर भीड़ से हंसी और तालियों का मिलाजुला शोर उठा।
विपक्ष पर जमकर बरसे शाह, बोले खुद को संभाल नहीं पा रहे
शाह ने विपक्ष को भी नहीं छोड़ा। उन्होंने कहा कि जो लोग आज एकजुटता की बात कर रहे हैं, वे अपने ही दल में टूट रोक नहीं पा रहे। “अरे भाई, पहले घर संभालो फिर बिहार की बात करो,” उन्होंने मुस्करा कर कहा। इससे रैली में हंसी का दौर छिड़ गया। लेकिन वही हंसी धीरे-धीरे जयघोष में बदल गई।
शाह का लहजा थोड़ा भावनात्मक भी था। बोले कि बिहार चुनाव में NDA सत्ता के लिए नहीं, उस भरोसे के लिए लड़ रहा है जो जनता ने हमें दिया है। उन्होंने कहा कि लालू-राबड़ी का दौर अब इतिहास है, और वो इतिहास कभी लौटकर नहीं आएगा।
लालू और तेजस्वी पर निशाना, कहा पुराना डर अब नहीं लौटेगा
शाह ने कहा कि लोगों ने वो समय देखा है, जब कोई छोटा व्यापारी शाम के बाद दुकान बंद करने से पहले भगवान का नाम लेता था। “अब डर नहीं, अब विकास है,” उन्होंने कहा। तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए शाह बोले कि जो लोग अभी राजनीति सीख रहे हैं, उन्हें पहले राज्य की पीड़ा समझनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि NDA ने बिहार में स्टार्टअप्स को बढ़ावा दिया है, महिलाएँ आज आत्मनिर्भर हो रही हैं। पहले लोग डरते थे, आज सपने देख रहे हैं, यही फर्क है।
जनता से की सीधी अपील, कहा वोट दीजिए विकास को
अपने भाषण के आख़री हिस्से में शाह ने भावनात्मक अपील की। बोले, “भाईयों-बहनों, जाति-पाति से ऊपर उठिए, और वोट दीजिए उस दल को जिसने बिहार को बदला है।” उन्होंने हाथ उठाकर कहा, “हमको ताकत जनता ने दी है, और जनता ही हमारी असली ताकत है।”
उनकी आवाज़ थोड़ी धीमी हुई, लेकिन असर गहरा था। भीड़ शांत थी, फिर अचानक “जय NDA” के नारों से गूंज उठी। रैली का माहौल किसी कहानी के चरम जैसा हो गया। शाह की बात खत्म होते ही लोग मंच की ओर बढ़े, कोई सेल्फी लेना चाहता था, कोई बस देखना चाहता था।
मुंगर की रैली के बाद बिहार की राजनीति में नई हलचल
राजनीतिक हलकों में अब चर्चा है कि मुंगर की रैली ने NDA पांडवों की तरह एकजुट होकर चुनाव लड़ रहा है की बात को जनता तक गहराई से पहुँचा दिया है। विश्लेषक कह रहे हैं कि इस बयान ने NDA के भीतर विश्वास और जोश दोनों बढ़ा दिए हैं।
अब अगले कुछ दिनों में बिहार की राजनीति का तापमान और बढ़ने वाला है। इस रैली ने एक संदेश दिया — चुनाव नजदीक हैं और NDA तैयार है। विरोधी घबराए हैं। और जनता? वो फैसला अपने दिल में रखे बैठी है।


