टिकट बंटवारे में पप्पू यादव का खेल? बिहार कांग्रेस में उठी सियासी आंधी
बिहार। चुनाव सिर पर है और इस बार कहानी कुछ अलग है। टिकट बंटवारे में पप्पू यादव का नाम अचानक से गूंज उठा है। सोशल मीडिया पर एक ऑडियो घूम रहा है। बात हो रही है कांग्रेस की। कहा जा रहा है, इसमें अफाक आलम और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम बात कर रहे हैं। टिकट को लेकर। नाराजगी की झलक हर लफ्ज़ में सुनाई देती है। लेकिन चलो साफ कर दें — इस ऑडियो की सत्यता की पुष्टि कोई नहीं कर पाया। फिर भी पूरे बिहार में ये खबर गरमा गई है।
जब आवाज़ें खुलासा करने लगीं
ऑडियो शुरू होता है बड़े सधे लहजे में। पर कुछ पल बाद टोन बदलती है। एक आवाज़ कहती है कि टिकट को लेकर गड़बड़ हो रही है। दूसरी तरफ हल्की झुंझलाहट। बीच-बीच में पप्पू यादव का नाम आता है। जैसे किसी दो नेताओं के बीच तीसरे का नाम किसी रहस्य की तरह तैर जाता हो। पार्टी दफ्तरों में अब चुप्पी नहीं, फुसफुसाहट चल रही है। कुछ हंस रहे हैं, कुछ खामोश हैं।
पप्पू यादव कौन हैं जो कांग्रेस में फैसले ले रहे हैं..? राजेश राम जी जो अध्यक्ष हैं वो असहाय दिख रहे हैं।
— Pratik Patel (@PratikVoiceObc) October 19, 2025
ये लोग महागठबंधन का बंटाधार कर के ही लगता है मानेंगे और फ़िर आरोप लगाएंगे कि लालू जी बिहार में कांग्रेस को कमज़ोर करते हैं।
जल्द से जल्द राहुल गांधी जी को ये सब देखना चाहिए। pic.twitter.com/kSTqn8vgf9
कांग्रेस में बढ़ती बेचैनी
लोग कहने लगे हैं कि बिहार कांग्रेस फिर पुराने दौर में लौट आई है। अंदर से बिखरी, बाहर से मुस्कुराती हुई। टिकट के लिए खींचतान नई नहीं, पर इस बार मामला कुछ ज्यादा तगड़ा दिखता है। पप्पू यादव का नाम बीच में आने से बात और उलझ गई। कई पुराने नेता इसे “बाहरी दखल” बता रहे। और कुछ तो ये तक कह रहे कि पार्टी की ईमानदारी डगमगाने लगी है।
अफाक आलम की खामोशी भी कहानी कहती है
पूर्णिया की कस्बा विधानसभा से विधायक अफाक आलम। इलाके में इन्हें काम करने वाला नेता माना जाता है। लेकिन अब वो कुछ नहीं बोल रहे। जब उनसे मीडिया वालों ने पूछा कि ऑडियो असली है या नहीं, उन्होंने बस मुस्कुरा दिया। बोले — “मुझे इसकी जानकारी नहीं।” बस इतना ही। लोग समझ गए कि कुछ तो दिक्कत है। उनके समर्थक भी अब सोच में हैं कि आखिर ये सब हो क्या रहा है।
राजेश राम पर बढ़ा दबाव
प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम की स्थिति भी आसान नहीं। ऑडियो में आवाज़ उनकी बताई जा रही है। लेकिन वे खामोश हैं। शायद सोच रहे हों कि बोले तो क्या बोले। पार्टी के अंदर ही अब सवाल उठ रहे कि गोपनीय बातें कैसे बाहर आईं। इतना तो तय है कि टिकट बंटवारे में पप्पू यादव की चर्चा ने कांग्रेस के लिए नया सिरदर्द खड़ा कर दिया है। और ये सिरदर्द जल्द खत्म होता नहीं दिखता।
सोशल मीडिया पर तूफान
ट्विटर हो, फेसबुक या व्हाट्सएप — हर जगह वही वीडियो, वही आवाज़ें। कोई कह रहा “देखो कैसे खेल चल रहा है”, कोई मजाक बना रहा। पर सच्चाई ये कि लोगों को अब भरोसा कम हो रहा। बिहार में राजनीति पहले से ही उलझी हुई है, और ये ऑडियो बस आग में घी डालने जैसा हुआ। अब हर कोई पूछ रहा है — क्या सच में कांग्रेस में पप्पू यादव का असर बढ़ गया?
विपक्ष का तंज, कांग्रेस की चुप्पी
विपक्षी दलों को बस मौका चाहिए था, और मिल गया। भाजपा और जदयू के नेताओं ने ताबड़तोड़ हमला बोल दिया। एक नेता ने कहा, “कांग्रेस अपने दम पर चल नहीं पा रही, इसलिए अब दूसरे नेताओं से सहारा ले रही।” दूसरी तरफ, कांग्रेस के प्रवक्ता इस पर कुछ भी बोलने से बच रहे। बस इतना कह रहे कि पार्टी अनुशासन में है। मगर जमीनी हकीकत कुछ और कहानी कह रही।
पप्पू यादव की चुप्पी, सियासी मायने बड़े
पप्पू यादव, जिनका नाम बार-बार इस टिकट बंटवारे विवाद में घसीटा जा रहा, उन्होंने अब तक एक शब्द नहीं कहा। शायद जानबूझकर। वह राजनीति को “खेल” की तरह समझते हैं, और जानते हैं कब बोलना है। लेकिन लोग कह रहे कि अगर ये सब झूठ है, तो खंडन क्यों नहीं। अब चुप्पी भी एक जवाब बन गई है। राजनीति में यह खामोशी बहुत कुछ कह जाती है।
कांग्रेस के सामने मुश्किल वक्त
संगठन पहले से कमजोर। नेता आपस में उलझे हुए। और अब यह ऑडियो। ऊपर से चुनाव सिर पर। ऐसे माहौल में जनता का भरोसा जीतना आसान नहीं। पार्टी के कुछ नेता मानते हैं कि विवाद जितना खिंचेगा, उतना नुकसान होगा। लेकिन कौन सुने। सबको अपनी कुर्सी की चिंता है। टिकट बंटवारे में पप्पू यादव की बात अब सिर्फ एक चर्चा नहीं, बल्कि चुनावी हथियार बनती दिख रही।
लोग क्या सोच रहे हैं
पूर्णिया जिले में चाय की दुकानों पर, चौक-चौराहों पर बस यही चर्चा — “तूने सुना ऑडियो?” सब सुन चुके हैं। कुछ बोलते हैं कि राजनीति अब मजाक बन गई है। कुछ कहते हैं कि ये सब पुरानी कहानी है, बस चेहरा नया है। पर सब मानते हैं कि पप्पू यादव अब फिर चर्चा में हैं। जनता देख रही, बस इंतज़ार कर रही कि अगला कदम कौन उठाएगा।