पवन सिंह की पत्नी ज्योति की नई राह – राजनीति में उतरने की तैयारी, काराकाट सीट पर निगाह
शाम ढली थी। पटना की हवा थोड़ी भारी थी। अचानक खबर आई – ज्योति सिंह राजनीति में उतर रही हैं। भोजपुरी अभिनेता पवन सिंह की पत्नी, जो अब तक सिर्फ अदालती विवादों में चर्चा में थीं, अब बिल्कुल अलग किरदार में दिखीं। इस बार वो मंच पर नहीं, जनता के बीच खड़ी होना चाहती हैं। और बस, खबर फैल गई बिहार की हर गली तक।
घोषणा जिसने सबको चौंकाया
ज्योति सिंह ने एक बयान में कहा, “मैं बिहार की जनता के लिए काम करना चाहती हूँ। अब वक्त है कुछ करने का।” इतना सुनना ही काफी था। लोगों ने तुरंत पूछ लिया – कौनसी सीट से? जवाब भी तैयार था – काराकाट। हाँ, वही सीट जहां मुकाबला हमेशा दिलचस्प होता है। उन्होंने कहा कि यही इलाका उनके दिल के करीब है। अब कहानी सचमुच शुरू हो गई थी।
पवन सिंह और परिवार का साया
बात इतनी आसान भी नहीं। सबको मालूम है कि पवन सिंह और ज्योति सिंह के बीच रिश्ते तनाव में रहे हैं। लेकिन फिर भी, इस पूरे प्रकरण में भावनाएँ साफ दिखीं। ज्योति के पिता रामबाबू सिंह बोले, “अगर पवन सिंह उन्हें अपनाते हैं, तो वह चुनाव नहीं लड़ेंगी।” उनके लहजे में गुस्सा भी था, दर्द भी। इस बयान ने कहानी को और नाटकीय बना दिया।
काराकाट सीट पर नजरें टिकाईं
अब पूरा ध्यान काराकाट पर है। वहाँ की आबोहवा, लोगों की बातें, सब अचानक बदल गया। कोई कहता – “देखो, ज्योति चुनाव लड़ेंगी!” तो कोई मुस्कराते हुए कहता – “अब खेल मजेदार होगा।” काराकाट से उनका रिश्ता पुराना है, और वहीं से वह अपना सफर शुरू करना चाहती हैं। सूत्र बताते हैं कि उन्होंने चुपचाप इलाके में मीटिंग्स शुरू कर दी हैं।
प्रशांत किशोर से हुई मुलाकात, और चर्चाएँ तेज
एक और दिलचस्प खबर आई। बताया गया कि ज्योति सिंह ने जनसुराज अभियान के नेता प्रशांत किशोर से मुलाकात की है। किसी कैफे में हुई, अनौपचारिक सी बातचीत। लेकिन बात छोटी नहीं थी। राजनीति के गलियारों में तुरंत हलचल मच गई। कोई बोला – “लगता है सब तय है।” किसी ने कहा – “बस औपचारिक ऐलान बाकी है।” उनकी चुप्पी ही सब कुछ कह रही थी।
करवाचौथ की तस्वीरों ने भावनाएं जगा दीं
विवाद के बीच, करवाचौथ पर ज्योति सिंह ने पति की लंबी उम्र की कामना की। सोशल मीडिया पर फोटो आई, लोग बोले – “ये तो अलग ही कहानी है।” किसी ने कहा ये प्यार की ताकत है, किसी ने कहा ये सियासत का समय है। पर जो भी हो, ज्योति ने दिखाया कि रिश्ते टूटते नहीं, बस रुप बदलते हैं।
राजनीति का रास्ता आसान नहीं
बिहार की राजनीति में उतरना आसान नहीं। लेकिन ज्योति सिंह का आत्मविश्वास बता रहा है कि वो पीछे नहीं हटेंगी। कहते हैं कि उन्होंने कुछ स्थानीय नेताओं से भी मुलाकात की है। अब वो भी कह रही हैं – “मैं मैदान में उतरूंगी।” उनके शब्दों में जूनून था, जो शायद विरासत से नहीं, हालात से मिला।
लोगों की जिज्ञासा और प्रतिक्रियाएं
गांव-गांव में अब बस एक चर्चा है। “क्या सच में ज्योति चुनाव लड़ेंगी?” कोई सवाल पूछता है, कोई हंसकर कह देता है – “हां भई, अब बिहार की राजनीति फिल्म से कम नहीं।” सोशल मीडिया पर उनके लिए समर्थन भी दिख रहा है। कुछ लोग कह रहे हैं कि अब बिहार में “महिलाओं की राजनीति” का नया अध्याय शुरू हो चुका है।
परिवार के सहारे या बिना?
अब बड़ा सवाल यही है कि क्या उनका परिवार साथ देगा? क्या पवन सिंह उनके इस फैसले पर कुछ कहेंगे? अब तक किसी बयान की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। वो चुप हैं, पर ज्योति बोल रही हैं – “मैं अपना रास्ता खुद बनाऊंगी।” उनके इस आत्मविश्वास ने बहुतों को हैरान किया है।
बदलते बिहार की नई कहानी
यह सिर्फ चुनाव की नहीं, बदलाव की कहानी है। एक महिला, जिसने मुश्किल वक्त देखा, अब राजनीति में उम्मीद की लौ जलाना चाहती है। अगर वो काराकाट से लड़ती हैं, तो मुकाबला जोरदार होगा। पवन सिंह की लोकप्रियता और ज्योति सिंह की हिम्मत – दोनों मिलकर राजनीति को नया मोड़ दे सकते हैं।
अंत में
तो कहानी यहीं खत्म नहीं होती, बल्कि यहीं से शुरू होती है। बिहार में एक नया चेहरा, एक नया उत्साह और एक नई चर्चा। चाहे पवन सिंह साथ हों या नहीं, ज्योति सिंह अब सिर्फ किसी की पत्नी नहीं, बल्कि एक नेता बनकर उभरना चाहती हैं। वक्त तय करेगा कि ये कदम राजनीति में कितना बड़ा मोड़ लाता है। पर फिलहाल इतना तय है – बिहार का मैदान अब और दिलचस्प हो गया है।