बिहार के सीवान में गरजे अमित शाह, बोले – 100 शहाबुद्दीन भी आ जाएं, किसी का बाल बांका नहीं कर सकते
सीवान की जमीन फिर एक बार राजनीति की गवाही बन गई। शनिवार को जब अमित शाह मंच पर पहुंचे, तो भीड़ पहले से ही गरम थी। हजारों की संख्या में लोग “मोदी-नीतीश जिंदाबाद” के नारे लगा रहे थे। जब शाह बोले – “सौ शहाबुद्दीन भी आ जाएं, अब किसी का बाल बांका नहीं कर सकते” – तो मैदान तालियों से गूंज उठा। यह एक वाक्य था, जिसने बिहार की राजनीति में नई बहस छेड़ दी।
भीड़ में उमंग, नारों में ताकत
सुबह से ही लोग उमड़ने लगे थे। सड़कें लाल झंडों और भगवा पोस्टरों से भर उठी थीं। कई युवा सिर पर बैंड बांधे थे, जिन पर लिखा था – “शाह तेरा मिशन जारी है।” जब उनके काफिले ने मैदान में प्रवेश किया, तो उत्साह चरम पर था। शाह मुस्कुराए और बोले, “बिहार की जनता अब जान चुकी है कि डर का युग खत्म हो गया।” भीड़ ने जैसे मंजूरी दे दी – तालियों की आवाज मानो धमाका कर रही थी।
100 शहाबुद्दीन भी आ जाएं – इस लाइन से बदल गया माहौल
मंच से शाह ने जैसे ही शहाबुद्दीन पर तंज किया, सभा में जोश उमड़ पड़ा। उन्होंने कहा, “कभी सीवान का नाम आते ही लोग सहम जाते थे, लेकिन आज उसी सीवान में खामोश रातें और सुरक्षित सुबहें हैं। इस बदलाव को मोदी और नीतीश ने मिलकर लाया है।” उन्होंने जोड़ा, “अब सौ शहाबुद्दीन भी लौट आएं, किसी की हिम्मत नहीं कि जनता को डराएं।” इतना कहना था कि शोर थमने का नाम ही नहीं ले रहा था।
अपराध और भय से मुक्ति की बात
शाह बोले, “एक वक्त था जब बिहार में सूरज डूबते ही सन्नाटा छा जाता था। अब 24 घंटे कारोबार चलता है, बच्चे बेखौफ स्कूल जाते हैं।” उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने देश में, और नीतीश सरकार ने बिहार में विकास की कहानी लिखी है। शाह के शब्दों में विश्वास झलक रहा था – “यह नया बिहार है, जो किसी गुंडे या अपराधी से नहीं डरता।” उनके तेवर सख्त थे, लेकिन सुर में भरोसा भी था।
INDIA गठबंधन पर तीखा हमला
शाह ने विपक्षी INDIA गठबंधन को निशाने पर लिया। कहा, “नाम इंडिया रखकर ये लोग देश के साथ भ्रम फैला रहे हैं।” उन्होंने व्यंग्य में कहा, “इनकी एकता सिर्फ कुर्सी तक है, जनता से नहीं।” लोगों में हंसी की लहर दौड़ गई। लोगों ने नारे लगाए — “मोदी है तो मुमकिन है।” शाह ने कहा कि बिहार अब उसी को चुनेगा जो विकास का भरोसा दे सके, ना कि वादों की राजनीति में उलझाए।
नीतीश और मोदी की जोड़ी पर भरोसा
जनसभा में उन्होंने नीतीश कुमार की सराहना करते हुए कहा, “नीतीशजी के अनुभव और हमारे नेतृत्व ने बिहार को मजबूत किया है।” उन्होंने कहा कि अब बिहार में सड़कें जुड़ रही हैं, गांव बढ़ रहे हैं, और किसानों की आमदनी लगातार बढ़ी है। भीड़ से आवाज आई – “सही कहा, अब बिहार बदल गया।” शाह बोले, “अब बिहार देश के विकास मॉडल का हिस्सा बन चुका है।” उनके इस बयान पर तालियों की लहर एक बार फिर दौड़ गई।
रैली में उपस्थित जनता का उत्साह
रैली में महिलाओं की संख्या भी खास रही। हाथ में डंडियों पर झंडे लहरा रही औरतें चिल्लाईं — “बिहार में अपराध नहीं चलेगा।” युवाओं ने मोबाइल कैमरों से शाह का वीडियो रिकॉर्ड किया। एक बूढ़े किसान बोले, “पहले सीवान को डर से देखा जाता था, अब गर्व से।” शाह की मुस्कान बढ़ी, उन्होंने कहा, “यही है नया बिहार, जो अपराधियों से नहीं विकास से डराता है।” लोगों ने हँसते हुए तालियां बजाईं।
हम सेवा करने आए हैं, सत्ता के लिए नहीं
शाह बोले, “हम पद के लिए नहीं, जनसेवा के लिए राजनीति करते हैं।” उन्होंने कहा कि भाजपा और एनडीए की सरकार जनता के हर वर्ग तक पहुंच चुकी है। “न किसानों को डर है, न व्यापारियों को,” उन्होंने कहा। भीड़ से किसी ने पुकारा – “गृह मंत्री जी, अब बिहार पूरी तरह बदल गया!” शाह ने मुस्कुराते हुए कहा, “बिलकुल! क्योंकि अब निर्णय जनता का है, डर किसी का नहीं।” यह लाइन रैली के बाद भी लोगों की जुबान पर रही।
विपक्ष पर दोबारा निशाना
उन्होंने अपने भाषण के अंतिम चरण में कहा, “जो लोग बिहार को अपहरण राज्य बनाकर छोड़े थे, वही अब नैतिकता सिखा रहे हैं।” भीड़ हंसी से फट पड़ी। शाह ने कहा, “हम लैंप से LED तक आए हैं, यह नए बिहार का सफर है।” उनकी यह बात तंज भी थी, ताकत का प्रतीक भी। लोग चिल्लाए – “अमित शाह जिंदाबाद!”


