The truth about law and order in Bihar : क्या नीतीश सरकार ने अपराध कम किया?

The truth about law and order in Bihar को समझना ज़रूरी है क्योंकि पिछले 10 सालों में इसने कई बदलाव देखे हैं। क्या सचमुच नीतीश सरकार ने अपराध कम किया या यह केवल एक प्रचारतक दावा है, जानिए पूरी स्थिति।

The truth about law and order in Bihar : क्या नीतीश सरकार ने अपराध कम किया?

खबर का सार AI ने दिया · GC Shorts ने रिव्यु किया

    बिहार में कानून व्यवस्था की 10 साल की परीक्षा: क्या नीतीश सरकार ने अपराध कम किया?

     

    नीतीश सरकार की 10 साल की कानून व्यवस्था के आंकड़ों से क्या सच झलकता है?

    बिहार में कानून व्यवस्था का मामला बड़ा पेचीदा है। विपक्ष ज़ोर लगाता है कि अपराध बढ़ गए हैं। मगर आंकड़ों को देखिए, कहानी कुछ और ही है। दस साल के डेटा में कुछ अपराध कम हुए हैं, तो कुछ बढ़े भी। ये साफ नहीं कह पाना है कि सरकार पूरी तरह कामयाब हुई या नहीं। झंझट है, समझ भी मुश्किल।

     

    क्या कहती हैं बिहार की अपराध दर के आंकड़े?

    बिहार के डेटा में दिखता है कि हत्याओं और चोरी जैसे अपराधों में घटत तो है, पर साइबर और धोखाधड़ी जैसे नए अपराधों में बढ़ोतरी भी हुई है। यानी अपराध का स्वरूप बदला है। नीतीश सरकार ने कई कदम उठाए, जैसे पुलिस सुधार, सर्विलांस बढ़ाना, यह सब दिखता भी है। पर कहीं-कहीं चुनौती बाकी है।

     

    नीतीश सरकार के सुधार प्रयास कैसे रहे? थोड़ी बातें और नजर

    वीडियो सर्विलांस लगाया, हेल्पलाइन शुरू की, पुलिस में सुधार किए। ऐसा लगता है काम हुआ। कुछ इलाकों में अपराध कम हुए भी दिख रहे हैं। सरकारी रिपोर्ट भी कहती है कार्रवाई बेहतर हुई है। पर अभी पूरी संतुष्टि नहीं हुई। कई जगहों पर पुलिस व्यवस्था जमी नहीं। यह दीवार अभी अधूरी सी लगती है।

     

    विपक्ष के आरोप और आम लोगों की राय में कितना फर्क?

    विपक्ष कहता है कि आंकड़े छुपाए जा रहे हैं। जमीन पर हालात खराब हैं। जनता की बात करें तो मिश्रित ही सामने आती है। कहीं लोगों को सुरक्षा महसूस होती है, कहीं डर बना हुआ है। मतलब साफ है—काफी काम अभी बाकी है। संतुष्टि नहीं, पर थोड़ा सुधार जरूर। आरोप-प्रत्यारोप यहां आम बात है।

     

    कानून व्यवस्था में सबसे बड़ी चुनौतियां बिहार की क्या हैं?

    कम पुलिसकर्मी, भ्रष्टाचार, धीमा न्याय। ये तीन शब्द बिहार की कानून व्यवस्था का सच कहते हैं। ट्रेंडिंग मुद्दे भी हैं, पर ये समस्या जमी हुई है। ट्रेनिंग की कमी और आर्थिक कारण भी अपराध बढ़ाने में योगदान देते हैं। इन सबका समाधान जुटाना बड़ा काम है। चुनौती बड़ी, पर हिम्मत करनी होगी।

     

    सरकार की बढ़ाई गई कोशिशें, क्या फर्क पड़ा?

    महिला सुरक्षा के लिए अलग पुलिस टीम, मोबाइल हेल्पलाइन, तेज़ जवाब देने वाली व्यवस्था—ये सब अच्छी पहल हैं। टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल इसे प्रभावी बना रहा है। कुछ स्थानों पर असर भी दिखा। पर यह कहना कि पूरी व्यवस्था बेहतर हुई, थोड़ा जल्दबाजी होगी। अभी सड़क लंबी है इसकी।

     

    आने वाले समय में कानून व्यवस्था कैसे सुधरेगी बिहार में?

    ज़्यादा संसाधन, बेहतर ट्रेनिंग, भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार। ये सब जरूरी कदम हैं। पुलिस और जनता के बीच भरोसा बढ़ाना भी उतना ही ज़रूरी है। समुदाय की भागीदारी इसे मजबूत करेगा। अगर ये सब मिला, तो बिहार की कानून व्यवस्था मजबूत होगी, लेकिन सबमें संतुलन ज़रूरी। जो भी होगा, मिलकर होगा।

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